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अमेरिका ने भारत से कहा, एक-दूसरे के क्षेत्र में सैन्य कमांडो रखने का वक्त आ गया

पाकिस्तान को आतंकवाद के नाम पर खरी-खोटी सुनाने के बाद अमेरिका अब भारत की ओर रुख कर रहा और अब उसने प्रस्ताव दिया है कि सैन्य स्तर पर आपसी सद्भाव बढ़ाने के लिए एक-दूसरे के क्षेत्र में सैन्य कमांडोज तैनात किए जाने चाहिए.

अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों को नए स्तर पर ले जाना चाहता है और इस दिशा में उसने अपने स्तर पर प्रयास करने शुरू कर दिए हैं. भारत में अमेरिकी राजदूत केनथ जस्टर ने बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि दोनों देशों को सैन्य मामलों में और प्रगाढ़ता लाने के लिए कुछ जगहों पर कमांडोज तैनात करने का विचार करना चाहिए.

नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले आधिकारिक भाषण में जस्टर का यह सुक्षाव भारत-अमेरिका के बीच लॉगिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर हुए करार के 2 साल बाद आया है. यह करार दोनों देशों की सेनाओं को आपस में एक-साथ काम करने और एक-दूसरे के बेस को ठीक करने तथा सप्लाई को दुरुस्त करने की इजाजत देता है.

वर्तमान में, अमेरिका का नाटो के कुछ सदस्य देशों के अलावा सुरक्षा के मामले में बेहद करीबी साझेदार ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन के साथ ऐसे करार हैं.

जस्टर ने साथ ही भारत के साथ भविष्य में मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करने का सुझाव भी दिया और नई दिल्ली से इसे आर्थिक साझेदारी को लेकर कूटनीतिक स्तर पर देखने को कहा. अमेरिका इस क्षेत्र में चीन के अलावा एक अन्य विकल्प तलाश रहा है.

उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि अमेरिका कहीं भी सीमा पार आतंकवाद और आतंकियों के पनाहगाह को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा. अमेरिकी राजदूत का सीमा पार आतंकवाद की ओर इशारा करने का मतलब पाकिस्तान से था.

यह सवाल पूछे जाने पर अमेरिका ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले मदद पर रोक लगाने के दौरान भारत के खिलाफ पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों के नाम क्यों नहीं लिए. इस पर उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान मामले में पाकिस्तान बेहद खास है. हमें नहीं लगता कि पाकिस्तान के सहयोग के बिना अफगानिस्तान में कुछ भी सुधार नहीं लाया जा सकता.

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