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सीरिया तनाव: जरूरतमंदों की मदद के लिये संयुक्त राष्ट्र में मतदान की संभावना

संयुक्त राष्ट्र। समूचे सीरिया में लाखों जरूरतमंद लोगों को मानवीय सहायता उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित करने एवं गंभीर रूप से बीमार और घायलों को वहां से निकालने के लिए 30 दिन के संघर्ष विराम के आदेश वाले संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव पर गुरुवार को स्वीडन और कुवैत ने मतदान का आव्हान किया।

हालांकि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में इस्लामिक स्टेट समूह, अल-कायदा और सीरियाई सरकार को निशाना बनाने वाले नुसरा फ्रंट एवं इसके रूसी सहयोगियों पर हमलों को इससे अलग रखा गया है। बुधवार को अपने अंतिम रूप में पेश इस प्रस्ताव में अस्वीकार्य स्तर तक बढ़ चुकी हिंसा और सीरिया के कई हिस्सों विशेषकर इदलिब गवर्नरेट एवं विद्रोहियों के गढ़ वाले दमिश्क के उपनगर पूर्वी घौटा में स्थानीय नागरिकों पर हमले को लेकर आक्रोश जाहिर किया गया।

बहरहाल यह देखना होगा कि रूस इस प्रस्ताव पर अपने वीटो का इस्तेमाल करता है या मतदान की प्रक्रिया से खुद को अलग रखता है। संयुक्त राष्ट्र में रूसी दूत वेसिली नेबेंजिया ने 30 दिन के संघर्ष विराम को हकीकत से परे बताया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कल बताया कि सीरियाई सरकार एवं इसके सहयोगियों के चार फरवरी से आक्रामक होने के बाद से पूर्वी घौटा में कम से कम 346 लोग मारे गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतेरेस ने इससे पहले पूर्वी घौटा में ‘‘सभी युद्ध गतिविधियों’’ को तत्काल रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वहंा रह रहे 400,000 लोग धरती के नरक में रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत निक्की हेली ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के बयान का समर्थन करते हुए क्रूर असद प्रशासन को पुरूषों, महिलाओं और बच्चों पर हमले का आरोप लगाया था।

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