WORLD ENVIRONMENT DAY : सार्वजनिक क्षेत्र में हरियाली के मामले में इंदौर बनेगा मॉडल
– अब पौधापालन पर फोकस, रखा जाएगा एक-एक पौधे का हिसाब-किताब
( कीर्ति राणा)
बीते वर्षों में पर्यावरण दिवस पर पौधारोपण तो खूब हुआ लेकिन पौधे लगाने वालों ने भी यह सुध नहीं ली कि लगाए गए पौधों में से जीवित कितने रहे और कितने पौधे से वृक्ष बन पाए।पौधारोपण के ऐसे सारे कटु अनुभव से ही सबक लेकर अब पौधापालन की दिशा में विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार से काम शुरु हो रहा है।पर्यावरण प्रेमियों को पौधे नहीं बीज दिए जाएंगे, बीज के अंकुरित होने, पौधे में तब्दील होने की प्रक्रिया समझाई जाएगी, ये पौधे वे अपने घरेलु गार्डन में ही विकसित कर सकें इसके लिए कंपोस्ट खाद भी दी जाएगी। जून से अगस्त के बीच जब ये पौधे दो माह के हो जाएंगे तब जुलाई में इन पौधों को तयशुदा स्थानों पर लगाया जाएगा।मालवा की आबो हवा के मुताबिक कौनसे पौधे पनप सकते हैं इस के लिए बाकायदा पर्यावरणविदों की एक पेनल ने रिपोर्ट तैयार की है, उसी आधार पर पौधे तैयार किए जाएंगे।
काम यहीं पूरा नहीं होगा, जो भी व्यक्ति, समूह या संस्थाएं खुद के द्वारा पोषित-पल्लवित किए ये पौधे जिन क्षेत्रों में लगाएंगे, उन पौधों की जियो टेगिंग होगी साथ ही संबंधित व्यक्ति का भी नियमित रिकार्ड रखा जाएगा उसने नियमित पानी देने, पौधे की देखरेख करने में भी सजगता दिखाई या नहीं। जो व्यक्ति पौधे के वृक्ष बनने तक की प्रक्रिया में जागरुकता रखेंगे उन्हें भविष्य के लीडर के रूप में संस्था द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा।सार्वजनिक क्षेत्र में पौधों की जियो टेगिंग, उन्हें विकसित करने और शहर को हराभरा करने के उद्देश्य से एक एक पौधे का रिकार्ड रखने का मप्र में यह अनूठा कार्य इंदौर में शुरु होने से सफाई में हेटट्रिक वाला शहर हरियाली के मामले में भी अगले दो-तीन साल में मॉडल सिटी के रूप में पहचाना जाएगा।बीज संरक्षण, पौधा वितरण और रोपण के साथ ही पौध संरक्षण, जियो टेगिंग आदि कार्य हर जिले में सामाजिक वानिकी-वन विभाग सरकारी स्तर पर करता है लेकिन निजी स्तर पर सार्वजनिक रूप से यह अनूठा काम विश्व पर्यावरण दिवस से शहर में शुरु हो रहा है।
-मालवा की मिट्टी और पौधों का मिजाज
बीते वर्षों तक यह भी होता रहा है कि पौधे लगाने की होड़ में जिसे जो उपयुक्त लगा वह पौधा लगा दिया।वह मालवा के मौसम में पनप भी सकेगा या नहीं इस विषय में सोचा नहीं गया लिहाजा पौधे लगाए तो लेकिन पनपे नहीं। पर्यावरणविद जयश्री सिक्का, अनुराग शुक्ला, प्रेम जोशी, पद्मश्री जनक पलटा ने मालवा की मिट्टी, मौसम आदि के विश्लेषण पश्चात पाया है कि फलदार वृक्षों में आम, इमली,जामुन, आंवला, जाम, कबीट, बिल्व आदि खट्टे फल वाले वृक्ष के साथ ही पीपल, बड़, कदम, गुलमोहर, नीम, कनेर, गूलर के पौधे तेजी से पनप सकते हैं।तैयार किए गए पौधे उन्हीं व्यक्तियों से उनके निवास स्थान से एक किमी परिधि में ही लगवाएंगे ताकि उन्हें पौधों की नियमित देखरेख में भी दिक्कत ना आए।बगीचों की अपेक्षा पौधे पॉथ वे, डिवाइडर, टाउनशिप में लगाए जाएंगे। बहाई हाउस में पौधों का सेंपलिंग बैंक रहेगा, वन विभाग की तरह यहां से भी पौधे निशुल्क दिए जाएंगे।
फोटो:समीर शर्मा
-पौधापालन में सब की अलग अलग जिम्मेदारी
व्यवस्थित तरीके से पौधापालन के लिए सबकी जिम्मेदारी निर्धारित की गई है।समीर शर्मा बताते हैं स्वाहा वेस्ट मैनेजमेंट कंपोस्ट खाद निशुल्क उपलब्ध कराएगा, संस्था बीरबल आईईसी (इंफरमेशन, एजुकेशन, कम्युनिकेशन) का काम देखेगी, बहाई कम्युनिटी संसाधन उपलब्ध करा रही है।जिम्मी मगिलीगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट, सनावदिया, देव गुराड़िया के पीछे, 5 जून को पर्यावरण दिवस पर सुबह 10 बजे से 12.30 तक पहली वर्कशॉप रखी गई है।पर्यावरण प्रेमियों को निशुल्क बीज और खाद दी जाएगी, ताकि वे अपने घर पर ही पौधे तैयार कर सकें।एक तरह से यह संस्था बीरबल द्वारा 50 हज़ार पेड़ों के लिए पौधरोपण अभियान की शुरुआत होगी।दूसरी कार्यशाला 9 जून रविवार को बहाई केंद्र रसोमा लेबोरेटरी के पीछे विजयनगर पर होगी।