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डॉ.भीमराव अंबेडकर की जन्म स्थली का नाम क्यों था काली पलटन

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red “]जयंत शाह[/mkd_highlight]

 

 

 

मध्यप्रदेश।  डॉ.भीमराव अंबेडकर का जन्म प्रदेश के महू शहर में हुआ। एक वक्त था जब बाबा साहब के इस शहर के उस इलाके ​जहां उनका जन्म हुआ था काली पलटन के नाम ने पहचाना जाता था,वो वक्त था आजादी के पहले का..। अब तो इस इलाके को डॉ.अंबेडकर नगर के नाम से बुलाया जाता है।

दरअसल, आजादी से पहले महू शहर में अंग्रेजी फोज का मुख्यालय यहां था। शहर के एक इलाके में अंग्रेजी फोज शामिल भारतीय अफसर यहां रहते थे, इसलिए अंग्रेजी हूकुमत इस इलाके को काली पलटन के नाम बुलाती थी यह बात कहीं न कही भारतीयों को खलती थी,दबी जुबान से कभी उन्होंने इस पर कुछ कहा भी तो अंग्रेजी फोज के अफसरों ने उनको डरा कर जुबान बंद कर दी।

उस समय अंग्रेजी हूकुमत का राज था तो फोज के बडे पदों पर अंग्रेज ही पदस्थ थे,उनका रंग गोरा था जबकि अंग्रेजी फोज में शामिल भारतीयों का रंग काला। यही वजह थी कि अंग्रेजी फोज के अफसरों ने उस इलाके को ही काली पलटन का इलाका घोषित कर दिया जहां अंग्रेजी फोज में शामिल भारतीय रहा करते थे। जब तक देश में अंग्रेजी हूकुमत रही तब तक इस इलाके को अंग्रेज अफसर काली पलटन के नाम से ही बुलाते रहे। बाद में भी कई सालों तक इलाके का नाम काली पलटन ही रहा।

इस कालीपलटन इलाके में ही भारत रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ। बाबा साहब यहां ढाई साल रहे। जब उनके पिता अंग्रेजी फोज से सूबेदार के पद से पृथक ​हुए तो उन्हें काली पलटन का सरकारी मकान छोडकर जाना पडा। उसके बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यहां 1942 में आए। उसके बाद बाबा साहब कभी उनकी जन्म स्थली नहीं आए।

साल 2003 में महू का नाम डॉ.अंबेडकर नगर कर दिया गया है। वहीं उनकी जन्म स्थली काली पलटन में उनका भव्य स्मारक बनाया गया है। यहां हर वर्ष 14 अप्रैल को बाबा साहब के जन्मदिन पर भव्य चल समारोह का आयोजन किया जाता है,लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए समारोह का आयोजन नहीं किया गया है। सभी ने अपने घर से ही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को याद कर उनका ज्न्मदिन मानाने का निर्णय किया है।

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