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प्रशासनिक अधिकारी जनता से जो उम्मीद कर रहें क्या वो अपने आचरण में ला पाए

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]जयंत शाह[/mkd_highlight]

 

आज के समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर लिखी गई पुस्तक “प्रेरक कथाएं” बहुत प्रसंगगिक है। वैसे तो इसकी सभी कथाएं बहुत प्रेरणदायक है,लेकिन वर्तमान समय में एक कहानी का जिक्र करना जरूरी है।

एक बार एक महिला महात्मा गांधी के पास अपने छोटे बच्चे के साथ आई , उसने बापू से कहा कि बापू मेरा बेटा बहुत ज्यादा गुड खाता है इतना ज्यादा कि इसके दांत ही खराब होने लग गए हैं । बहुत समझाने के बाद भी यह गुड खाना नहीं छोड रहा है। अब आप ही इसको गुड खाना छोडने का कहे..। बापू ने उस महिला से कहा कि वह एक सप्ताह बाद अपने बच्चे को लेकर आए। महिला को उस समय बापू की बात कुछ समझ नहीं आई। लेकिन महिला ठीक एक सप्ताह बाद फिर से बापू के पास पहुंची। बापू उस महिला को तीन सप्ताह तक यूं ही एक स्प्ताह बाद आने का कहते रहे। कुछ सप्ताह बाद जब वह महिला अपने बच्चे को लेकर बापू के पास पहुंची तो बापू ने उस बच्चे को अपने पास बुलाया और कहा कि गुड खाना ठीक नहीं इससे दांतों में कीड़े पड़ जाते हैं और दांत जल्दी गिर जाते है।

बापू ने महिला से कहा कि अब निश्चत रहो यह गुड खाना छोड देगा। महिला को बापू की यह बात कुछ ठीक नहीं लगी उसने सोचा कि बापू को जब इतनी ही बात कहना थी तो चार सप्ताह तक क्यों इंतजार किया।

उसने बापू से पूछा कि जब आपको इतना ही कहना था तो पहली बार में ही क्यों नहीं कहा आपने..। तब बापू ने कहा कि जब तुम अपने बेटे को लेकर आई उस समय मैं भी गुड खाता था जब तक मैंने गुड खाना नहीं छोड तक मैंने बच्चें से गुड खाना छोडने नहीं बोल सकता था। पहले मैंने गुड खाना छोडा फिर बच्चें से गुड खाना छोडने का बोला।

बापू की कहानी से यह बात समझी जा सकती है कि अगर आप किसी और से किसी तरह के अचारण,आदत बदलने या कुछ नया करने का कहते तो सबसे पहले वो स्वंय अपने अचारण लाए।

विश्व में कोरोना नामक महामारी के लिए दवाई अभी तक खोज नहीं हो पाई ऐसे में केवल सावधानी सतर्कता के साथ और जैसा कि W H O विशेषज्ञों , स्वास्थ्य विभाग , एवं प्रशासन द्वारा बार-बार social distancing, मास्क लगाने, हाथ धोनें और घर में रहने को जनता को विभिन्न माध्यमों से अवगत कराया जा रहा है कि यही एक बचाव का उपाय है।

जनता को यह समझाने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी वहीं अपने अचारण में यह सब नहीं ला रहे है। चाहे भोपाल में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव सहित अन्य अधिकारियों का या फिर सीहोर जिले के आष्टा तहसील के एसडीएम एवं तहसील और एसडीओपी द्वारा नियमों की अनदेखी करने का मामला हो..। इन जिम्मेदारों ने अपने अचारण में वह सब नहीं लाएं जिसकी उम्मीद वो जनता से कर रहे हैं।

यह समय आत्मावलोकन है, शासन प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए व्यक्ति अपितु फेसबुक एवं व्हाट्सएप पर उपदेश देने वाले मैसेज का अदान प्रदान करने वाले हम सभी लोगों को स्वयं आत्मावलोकन करना चाहिए क्या हम कोरोना वायरस के संक्रमण से फैल रही इस कोविंड 19 नामक महामारी को रोकने में अपनी भूमिका पर कहां तक ठीक है ।

आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है आप लोग सावधानी, सतर्कता के साथ, आवश्यकताओं को सीमित रखकर सुरक्षित घर में रहेंगे।

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