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सिस्टम को और पारदर्शी बनाएगा आयकर विभाग, ITR फाइल करने वालों की बनेगी वर्चुअल आईडी

आयकर विभाग तकनीक के इस्तेमाल से कर प्रणाली को और ज्यादा पारदर्शी बनाने की तैयारी में हैं। विभाग आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले आयकरदाताओं की वर्चुअल आईडी बनाएगा, इससे कर आकलन के मामलों में व्यक्ति की दखलंदाजी पर लगाम लगेगी। आयकर विभाग के सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया है कि तकनीक के सहारे कर आकलन के तौर-तरीकों में बड़े बदलाव हो रहे हैं।

आयकर विभाग आगामी अक्तूबर से ‘फेसलेस और नेमलेस’ सिस्टम लागू करने की तैयारी में है। अब आपका कर आकलन कौन कर रहा है, इसकी जानकारी ना तो आपको होगी और ना ही आकलन अधिकारी को पता होगा कि वो किसका आकलन कर रहा है। यानी अधिकारी को केस देखकर कार्रवाई करनी होगी। इसका फायदा आयकरदाताओं को भी मिलेगा और उन्हें आयकर दफ्तर तक जाने की जरूरत नहीं होगी।

किसी की पहचान उजागर नहीं होगी

आयकर अधिकारी सीएएसएस के जरिये काम करेंगे। ये सिस्टम करदाताओं के रिटर्न के आधार पर दी गई जानकारियों को तय पैमाने के तहत फिल्टर करेगा। टैक्स रिटर्न फाइल करते ही करदाता की वर्चुअल आईडी बनेगी। रिटर्न में गलती पर वर्चुअल आईडी को ही अधिकारी के पास भेजा जाएगा। अधिकारी सिर्फ आईडी के आधार पर जांच शुरू करेगा।

किसी भी राज्य में हो सकती है जांच

मामले की जांच के लिए सिस्टम वर्चुअल आईडी को अब नियत जोन में नहीं भेजेगा। नए नियम के तहत किसी करदाता का मामला देश के किसी भी हिस्से में बैठे अधिकारी या अधिकारियों की टीम के पास भेजा सकता है। वे अधिकारी मामले को देखेंगे और केस से जुड़ी जो भी अतिरिक्त जानकारी जरूरी होगी उसे सिस्टम में भेज देंगे।

विभाग बुला सकेगा

अगर आयकर विभाग उन जवाबों से संतुष्ट नहीं होता या सिस्टम की जानकारी के आधार पर कोई मामला बेहद संगीन पाया गया तो ऐसे मामलों में विभाग को करदाता को बुलाने या वीडियो कॉन्फ्र्रेंंसग के जरिये सवाल-जवाब करने की छूट रहेगी।

अभी गोपनीयता नहीं

अभी ऑनलाइन असेसमेंट सिस्टम इनकम टैक्स बिजनेस एप्लीकेशन के जरिये होता है। ये सिस्टम जोन के हिसाब से लोगों को ऑनलाइन नोटिस भेजता है, जिसमें असेसमेंट अधिकारी का नाम होता है।

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