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उत्तरप्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को गिरफ्तार और संपत्ति कुर्क करने का आदेश

कसया थाने में दर्ज मुकदमे में सूर्य प्रताप शाही पर सरकारी कार्य में बलपूर्वक बाधा पहुंचाने (भारतीय दंड संहिता की धारा 353) और आपराधिक नीयत से बलप्रयोग (धारा 506) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के खिलाफ कुशीनगर की एक स्‍थानीय अदालत ने गैर-जमानती वारंट (NBW)जारी किया है। कसया के अपर मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट चंद्र मोहन चतुर्वेदी ने शाही की संपति कुर्क करने के लिए जिला पुलिस को निर्देशित किया है। 2007 से चल रहे एक मामले में एक भी बार पेश न होने पर शाही के खिलाफ अदालत ने यह कार्रवाई की।

एसीजेएम ने कसया थानाध्‍यक्ष को संपत्ति कुर्क कराने और शाही को 19 फरवरी, 2018 को न्‍यायालय के समक्ष हाजिर करने का आदेश दिया है। यह मामला 1994 में सरकारी संग्रह अमीन चन्द्रिका सिंह की तरफ से शाही के खिलाफ दर्ज कराया गया था। कसया थाने में दर्ज मुकदमे में शाही पर सरकारी कार्य में बलपूर्वक बाधा पहुंचाने (भारतीय दंड संहिता की धारा 353) और आपराधिक नीयत से बलप्रयोग (धारा 506) के तहत आरोप लगाए गए हैं। मुकदमे की कार्रवाही 2004 में शुरू हुई तो शाही ने अदालत में उपस्थित होकर जमानत करा ली थी। शाही मई, 2007 तक अदालत के सामने पेशी पर जाते रहे, मगर उसके बाद कभी नहीं गए। शाही इस समय पड़ोसी जिले देवरिया की पथरदेवा सीट से विधायक हैं।

मंगलवार (16 जनवरी) को मामले की सुनवाई करते हुए एसीजेएम ने कहा कि मंत्री का गैर-हाजिर रहना गंभीर अपराध है और इसके बाद उन्होंने शाही के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। एसीजेएम ने कुशीनगर पुलिस को उनकी संपत्ति कुर्क करने का भी आदेश सुनाया। इस आदेश की तामील के लिए कसया एसएचओ को नोटिस देकर उन्‍हें इस संबंध में अदालत को सूचना देने को कहा गया है।

सूर्य प्रताप शाही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के रास्‍ते भाजपा में आए। राम जन्‍मभूमि आंदोलन में शाही सक्रिया रहे और 1980 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े, मगर हार गए। 1985 में पहली बार विधायक बने और दो साल बाद यूपी सरकार में मंत्री भी बन गए। 1991 में उन्‍हें गृह राज्‍यमंत्री बनाया गया। 1992 में उन्‍होंने स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय संभाला। यह मामला इसी कार्यकाल से जुड़ा हुआ है।

शाही 2005 से 2015 तक भाजपा प्रदेश उपाध्‍यक्ष रहे, फिर अध्‍यक्ष बने। उनके पिता संघ के जिला संचालक थे और चाचा जनता पार्टी सरकार में मंत्री रहे थे।

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