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बारिश ने बिगाडी धान की सेहत, पैदावार पर पड रहा असर

 

  (दीपक भार्गव,भोपाल)

मध्यप्रदेश। बारिश धान की फसल के लिए फायदेमंद तो है, लेकिन इस बार हुई ज्यादा बारिश धान की फसल के लिए काल साबित हुई है। प्रदेश में बारिश ने जहां मानव जीवन अस्त व्यस्त कर रखा है वहीं कृषि क्षेत्र में भी पैदावार पर बडा असर पडा है। मध्य प्रदेश में धान की पैदावार अधिक बारिश के कारण काफी हद तक प्रभावित हुई है। कृषि क्षेत्र से जुडे जानकार बताते हैं कि मध्य प्रदेश में लगभग 17.25 लाख हेक्टर कृषि भूमि में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है। जिनमें बालाघाट, सिवनी, मंडला, रीवा, शहडोल, अनूपपुर, कटनी, जबलपुर, डिण्डोरी, सीहोर व रायसेन जिला प्रमुख हैं। नर्मदा तटीय क्षेत्र के अधिकांश किसान धान की फसल लेते हैं। लेकिन इस बार मौसम ने किसान के अरमानों पर पानी फैर रखा है। धान की पैदावार में दस से पन्द्रह फीसदी तक गिरावट देखी जा रही है। खेत में पक कर खडी हो चुकी धान की फसल तेज पानी की बौछार से आडी होकर मिट्टी की चपेट में आ गई, वहीं अधिकांश हिस्सों में धान की फसल को रोगों ने अपनी चपेट में ले लिया था जिससे पैदावार प्रभावित होती दिख रही है।
बारिश से बढे रोग, नहीं आई कोई तरकीब काम—
खेत में खडी धान की फसल कटने को तैयार, लेकिन पानी की बोछारों से धान में नमी बनी रही जिससे धान की कटाई में देरी हुई। ओर यही देरी धान में लगने वाले रोगों के लिए अमृत साबित हुई। बताया जाता है कि तैयार धान की फसल में नमी होने के कारण माहू रोग बहुतायात मात्रा में पाया गया जो पैदावार प्रभापित करने में सबसे बडा कारण रहा। वहीं ब्राउन प्लांट हॉपर, रातरानी, तना छेदक कीट व कंडुआ रोग का प्रकोप रहा जिससे धान की बालियां सूखने लगीं और दाने कम बने। बुधनी क्षेत्र के किसान राजीव गौर का कहना है कि धान में रातरानी रोग व माहू रोग का प्रभाव रहा जिससे पैदावार कम हुई। पिछले साल 22 क्विंटल प्रति एकड का एवरेज था जो इस बार घटकर 15 क्विंटल प्रति एकड रह गया।
इनका कहना है—
ज्यादा पानी गिरने से फसल में बीमारियां आ जाती हैं जिन किसानों ने समय पर रोग उपचार कर लिया उन्हें फायदा हुआ है। क्षेत्र में अभी तक धान की फसल के अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं।(आर एस राठौर, एसडीओ कृषि बुधनी)

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