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पोखरण में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण

नई दिल्ली : भारत ने रक्षा क्षेत्र में गुरुवार को एक और छलांग लगाई। राजस्थान के पोखरण में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल अपनी सटीकता के साथ चिन्हित लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद दिया। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस उपलब्धि पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को बधाई दी। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो 290 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है। यह मिसाइल बेहद कम ऊंचाई से आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को बीच में ही मार गिराने में सक्षम है।

इससे पहले भी ब्रह्मोस का सफल परीक्षण हो चुका है। पिछले साल नवंबर में ब्रह्मोस को फाइटर जेट सुखोई से दागा गया था, जो कि सफल रहा था। सूखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी को ‘डेडली कांबिनेशन’ भी कहा जाता है। सूखाई-30 फुल टैंक ईंधन के साथ 2500 किलोमीटर तक मार कर सकता है। ब्रह्मोस की रफ़्तार 2.8 मैक (ध्वनि की रफ़्तार के बराबर) है। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री अपने साथ ले जा सकती है। हाल में आई खबरों के मुताबिक ब्रह्मोस जैसी क्षमता वाली मिसाइल अभी तक चीन और पाकिस्‍तान ने विकसित नहीं की है।

ब्रह्मोस को गेम चेंजर मिसाइल माना जाता है जो देखते ही देखते दुश्मनों का पासा पलट सकती है। वायु सेना अब पाकिस्तान के क्षेत्र में जाए बगैर पेशावतर तक निशाना बना सकती है।

भारत ने क्रजू मिसाइल ब्रह्मोस का निर्माण रूस के सहयोग से किया है। ब्रह्मोस का नामकरण भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस के मस्कोवा नदी के नाम पर है। ब्रह्मोस की खासियत है कि यह मिसाइल पलक झमकते ही दुश्मनों को मटियामेट कर सकती है। इसकी मारक क्षमता एवं सटीकता के आगे कोई बच नहीं सकता। खास बात है कि इसे आने वाले समय में थल सेना, नेवी, वायु सेना में इस्तेमाल किया जा सकेगा। सटीकता और प्रभाव के मामेल में ब्रह्मोस मिसाइल की कोई सानी नहीं है। भारत का मिसाइल कार्यक्रम विश्वस्तरीय है और इसे देखते हुए ब्रह्मोस का सफल परीक्षण बड़ा कदम है।

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