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महाराष्ट्र की राज्यपाल के लिए चल रहा है सुमित्रा महाजन का नाम 

(कीर्ति राणा )
केंद्र में सरकार गठन पश्चात अब अगले कुछ दिनों में राज्यपालों की नियुक्ति का सिलसिला शुरु होना है। हमारी ताई (सुमित्रा महाजन) को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाए जाने के अधिक आसार हैं।वे अपने मायके वाले राज्य की प्रथम नागरिक होकर भी इतिहास रचेंगी, यह ऐसा ही होगा जैसे लगातार आठ बार इंदौर से जीत कर इंदौर के उत्कृष्ट सांसद के साथ ही लोकसभा स्पीकर के रूप में वैश्विक पहचान बनाई।
महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के जिस चिपलुन गांव में सुमित्रा महाजन का जन्म हुआ, उस गांव से उनके भाई वगैरह वर्षों पहले मुंबई आकर बस गए हैं।इंदौर में अधिवक्ता जयंत महाजन से उनका विवाह हुआ है।उनके देवर बसंत महाजन नगर निगम में उन वर्षों में स्वास्थ्य अधिकारी रहे जब कैलाश विजयवर्गीय महापौर थे।
साधारण गृहिणी रहने के साथ ही ताई राष्ट्र सेविका मंडल से जुड़ीं और कथा-कीर्तन करते करते इनपानि में एल्डरमेन, उप महापौर भी रहीं। कांग्रेस नेता महेश जोशी से क्षेत्र क्रमांक 3 के विधानसभा चुनाव में पराजित हुईं। भाजपा ने सांसद प्रत्याशी बनाया और पीसी सेठी सहित कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराते हुए वे 1989, 91,96,98,2004,09, 2014 तक अपराजेय सांसद रहीं।2019 में अप्रत्याशित तरीके से 75पार का हवाला देकर उनका टिकट काटा गया। यह बात शहर के आमजन के गले तो उतरी नहीं लेकिन लालवानी के समर्थन में आमसभा करने आए प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह एक दर्जन से अधिक बार ताई का नाम लिया तो उनके इस कथन के चश्मदीद लोगों को समझ आ गया था कि अगली बार प्रधानमंत्री बनते ही मोदी ताई के मान-सम्मान की क्षतिपूर्ति भी करेंगे।जून में यह योग बनने की पूरी संभावना है।
ताई को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाने के साथ बहुत संभव है कि दो साल बाद राष्ट्रपति कोविंद का और उनके बाद उप राष्ट्रपति वैंकया नायडू का कार्यकाल समाप्त होने पर ताई को इन दोनों में से किसी पद के लिए अतियोग्य मान लिया जाए। महाराष्ट्र की 19वीं राज्यपाल के रूप में 76 वर्षीय ताई शुद्ध मराठी भाषी और इसी राज्य में जन्मी पहली राज्यपाल होंगी।वर्तमान में चेनमनेनी (सी) विद्यासागर राव महाराष्ट्र के 18वें राज्यपाल हैं। उन्हें इस पद पर पांच साल (नियुक्ति 30 अगस्त 2014 होने को हैं।सार्वजनिक जीवन में गहरा अनुभव रखने वाले राव 77वर्ष के हैं।पीसी अलेक्जेंडर ही महाराष्ट्र में सर्वाधिक 8 साल राज्यपाल रहे हैं। भारत के राष्ट्रपति रहे (स्व)डॉ शंकरदयाल शर्मा भी यहां के राज्यपाल रहे हैं।
ताई वाली गरिमा बनाए रखने की  चुनौती है सांसद लालवानी पर 
विधायक का टिकट नहीं मिले और यकायक सांसद का टिकट मिल जाए और रेकार्ड मतों से जीतभी जाए, यह खुद शंकर लालवानी के लिए सपने जैसा ही है। जिस शहर की सांसद लोकसभा स्पीकर रही हों वह शहर देश में सर्वाधिक मतदान वाले सांसद के रूप में लालवानी को संसद में भेजे तो उन पर ताई के महान कद वाली साख को बनाए रखने की महती जिम्मेदारी है।इस बात की गंभीरता उन्हें संसद के सत्रों को अटैंड करते रहने के बाद ही पता चलेगी। सेंट्रल हाल की पहली बैठक में अभिनेत्री-सांसद हेमा मालिनी के साथ सेल्फी लेने का उत्साह दिखाने के साथ ही ये फोटो वॉयरल किए उसे संगठन स्तर पर भी सांसद की गरिमा के अनुकूल नहीं माना गया है।

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