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कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लोट के घर न आए…

पुलवामा हमले का एक साल: आज भी सिहर उठती है कश्मीर की धरती
पिछले साल 14 फरवरी का दिन सबकुछ सामान्य दिनों की तरह चल रहा था। पूरा देश 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मना रहा था। इस बीच दोपहर के समय टीवी चेनलों के माध्यम से खबर आई जिससे पूरा देश हिल गया। खबर जम्मू-कश्मीर से थी। पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी ने सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के जवानों को ले जा रही एक बस से विस्फोटक भरे कार को टकरा दिया। इस फिदायीन हमले में हमारे 40 जवान शहीद हो गए थे। आज पूरा देश पुलवामा हमले में जो शहीद हुए थे उनकी शहादत को नमन कर रहा है।

चरम पर पहुंच गया था भारत-पाक का तनाव—
जम्मू से श्रीनगर जा रहे 2500 सीआरपीएफ जवानों के 78 बसों वाले काफिले पर हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर पहुंच गया। देशभर में इस आतंकी हमले के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे। एक तरफ लोगों ने नम आंखों से शहीदों को श्रद्धांजलि दी तो दूसरी तरफ बदले की आग भी धधक रही थी। सभी राजनीतिक दलों और सिविल सोसायटी की भावना भी एक जैसी थी।
पीएम मोदी का ‘दिल में आग’ वाला बयान—
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमले के तीन दिन बाद 17 फरवरी को एक रैली में कहा, ‘मेरे दिल में भी वैसी ही आग है जैसी आपके दिल में है।’ एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि सभी आंसुओं का बदला लिया जाएगा और सुरक्षाबलों को समय, स्थान और दुश्मन से बदले का तरीका चुनाव करने की पूरी स्वतंत्रता है।
भारत ने बदला लेने जैश कैंप पर किया हमला—
सरकार ने दावा किया कि भारत की तरफ से की गई जवाबी कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद के सभी आतंकी ठिकानों को तहस-नहस कर दिया गया है। पुलवामा हमले के 12 दिन बाद सुबह जब देश के लोगों की आंखें खुली तो वे खुशी से झूम उठे। 26 फरवरी को तड़के इंडियन एयर फोर्स के लड़ाकू विमान पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंप पर बम बरसाकर लौट चुके थे। एयर स्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकवादी, ट्रेनर और सीनियर कमांडर मारे गए। इस कैंप को मसूद अजहर का साला मौलाना युसूफ अजहर संचालित कर रहा था।

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