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राजा तोता महल और 20 लाख करोड़ की सहायता

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]विनीत दुबे[/mkd_highlight]

 

 

 

देश के प्रधान द्वारा कोरोना संकट में आम जनता की सहायता के लिए अपने खजाने खोल दिए हैं। हर तबके लिए उन्होंने कुछ न कुछ देने का ऐलान किया है। पिछले तीन माह के दौरान अपने महल यानि बंगले में रहकर उन्होंने देश भर के चतुर और सुजान मंत्रियों से विचार विमर्श के बाद 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज बनाया है। इस पैकेज की पहली विशेषता तो यह है कि इसे घोषित करने में देश के वित्त मंत्री और वित्त राज्यमंत्री दोनों को ही पूरे पांच दिन लग गए।

दूसरा यह कि देश भर के पढ़े लिखी आम जनता 20 लाख करोड़ में कितनी शून्य लगती हैं जैसे कौन बनेगा करोड़पति टाइप के सवाल को हल करने में जुट गए। उधर देश के नामचीन अर्थशास्त्री भी इस पैकेज को समझ नहीं पाए और यह कहते हुए हार मान गए कि पैकेज को बहुत अच्छा है पर हम ही बेवकूफ हैं जो इसे समझ नहीं पा रहे हैं हमारी ही बुद्धि काम नहीं कर रही है या हमारी समझ अभी इतनी विकसित नहीं हैं कि इस 20 लाख करोड़ के गणित को समझ सकें।

20 लाख करोड़ के गणित को समझने के लिए आपको एक प्राचीनकाल से प्रचलित एक कहानी को सुनना होगा तभी आपको समझ में आएगा कि उस पैकेज में आखिर है क्या। क्या हुआ कि पूराने जमाने में एक बड़े ही प्रतापी राजा थे। उनके दरबार में अनेकों ज्ञानी मंत्री थे, राजा गाए बगाहे मंत्रियों को अलग अलग टास्क देकर उनकी बुद्धीमत्ता को जांचते रहता था। एक दिन दरबार में राजा ने कहा कि कहा हम एक ऐसा महल बनाना चाहते हैं जो खंभों के बिना खड़ा हो। वह महल हवा में तैरता हुआ होना चाहिए, मंत्रियों अब आप हमें बताइए यह कैसे किया जा सकता है?

सभी मंत्री यह सुनकर आश्चर्य चकित रह गए तभी एक चतुर मंत्री ने बात को टालने के लिए कहा कि जहांपनाह, इसमें तो कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इसके लिए बहुत बड़ी धनराशि चाहिए तभी ऐसा महल बन सकेगा। राजा ने कहा कि पैसा भी नहीं है लेकिन महल तो बनेगा ही कैसे बनेगा तुम जानो यदि महल नहीं बना तो हम तुम्हारा सिर कटवा देंगे। महल का काम आज से शुरू कर दो एक महीने बाद हम स्वयं काम की प्रोग्रेस देखने चलेगे।

मंत्री भी चतुर था उसने राज्य में तोते पकड़ने वालों को बुलाया और उनसे कहा कि तुम 100 तोते पकड़ो और उन्हे सिखाओ कि वह हर समय यही कहें कि ईट लाओ गारा लाओ पत्थर लाओ जल्दी जल्दी काम करो। मंत्री की बात मानकर बहेलिया ने सभी तोते को सिखाना प्रारंभ कर दिया। एक महीने बाद राजा ने उस मंत्री को बुलवाया और पूछा हमारे महल का क्या हुआ? काम कहां तक पहुंचा है? मंत्री ने कहा जहांपनाह, काम तो बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। राजा ने कहा कि आज की हम उसे देखना चाहते हैं। मंत्री ने कहा जरूर जहांपनाह, हम कल चलेंगे।

अगले दिन मंत्री ने उन तोतों को एक जंगल में पेड़ों पर बैठा दिया और बहेलिया के सिखाए अनुसार तोते बोल रहे थे ईट लाओ गारा लाओ पत्थर लाओ जल्दी जल्दी काम करो। जब उस जगह पर मंत्री अपने राजा को लेकर आए तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ कि कहीं कुछ निर्माण की आवाजें आ रही हैं लेकिन बनता हुआ कुछ दिख नहीं रहा है। राजा ने पूछा मंत्री जी यह क्या है बन तो रहा है पर कुछ दिख नहीं रहा है तब मंत्री ने कहा हुजूर बिना पैसों के हवा में महल बनाना आसान काम नहीं है इन्सान पैसे लेते इसलिए मजदूरी में तोतों को लगाया है।

यह महल तो हवा में बन रहा है और हवा से बन रहा है इसलिए इसे देख नहीं सकते क्योंकि ईट भी हवा की है गारा भी हवा का है और पत्थर भी हवा के हैं। महाराज पूरा का पूरा महल ही हवा का है इस कारण दिखाई नहीं दे रहा है। इस महल में प्रवेश के लिए आपको तोते की तरह उड़कर जाना पड़ेगा।

ठीक इसी तरह है 20 लाख करोड़ का यह पैकेज। जो किसी तो न तो दिखाई पड़ रहा है और न ही समझ में आ रहा है। असल में यह पैकेज वास्तव में एक लोन का पैकेज है, कर्ज लीजिए और खुद खाईये, हमें भी खिलाइये यानि टैक्स आदि दीजिए और उन्हें भी खिलाइये यादि मजदूरों को भी दीजिए।

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