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छत्तीसगढ़ में बना प्लेसमेंट एक्ट, अब पूरे देश में लागू करने की तैयारी

रायपुर । देश के बच्चों से ही सुंदर, स्वच्छ, स्वस्थ वातावरण का निर्माण हो सकता है, ये कल्पना महात्मा गांधी ने की थी। बच्चों के हक क्या हों, किनके लिए हों, कौन-कौन से हों, इन बातों पर न्यू सर्किट हाउस में देशभर से आए विद्वान, राजनेता, न्यायमूर्ति, प्रशासन, पुलिस समाजसेवी ने चर्चा की।

सभी ने एक मत कहा कि बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए हरसंभव प्रयास होना चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य यशवंत जैन ने कहा कि बच्चे फूलों की तरह हैं, यदि उनका ख्याल नहीं रखा गया तो वे मुरझाने लगते हैं। इनसे ही मजबूत देश की कल्पना की जा सकती है।

महिला एवं बाल विकास की सचिव डॉ. एम गीता ने कहा कि प्रदेश के बच्चों द्वारा संरक्षण के लिए कई तरह के कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में व सरगुजा क्षेत्र को विशेष ध्यान में रखकर बाल तस्करी को रोकने के लिए देश का पहला प्लेसमेंट एजेंसी एक्ट प्रदेश में बनाया गया।

आज इसकी चर्चा यूनिसेफ के माध्यम से अमेरिका के मानव आयोग में हो रही है। हाल ही में इसके लिए प्रदेश को पुरस्कार भी दिया गया। विलेज चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी का गठन बाल एवं संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि बाल श्रम और ट्रेफिकिंग को रोकने के लिए प्रदेशभर में विलेज चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी का गठन किया गया है।

हर गांव से लेकर शहर के हर कोने तक इससे पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य केवल एक है कि बच्चों के हाथों में किताबें हों। वे शिक्षा ग्रहण कर सकें। किसी भी तरह से बाल मजदूरी का शिकार न हों।

सुप्रीम कोर्ट बच्चों के लिए पूरी तरह सतर्क राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव विवेक तिवारी ने बताया कि देश में बच्चों के लिए सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से सतर्क है। किसी भी बच्चे को किसी भी प्रकार की दिक्कत हो रही है तो किसी भी न्यायालय में फोन कर अपनी समस्या हो बता सकता है। इस पर संज्ञान लेकर तत्काल कार्रवाई की जाती है।

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