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टच द सन’ मिशन : सूर्य के सबसे करीब पहुंचने के लिए NASA का अंतरिक्षयान ‘पार्कर सोलर प्रोब’ तैयार

अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी नासा ने आज के दिन एक बड़ा इतिहास लिखने का प्लान बनाया है। खबर लिखे जाने से करीब दो घंटे बाद ही नासा अपना पार्कर सोलर प्रोब स्पेस एयरक्राफ्ट लॉन्च करने जा रहा है। नासा का ‘स्पर्श सूर्य’ मिशन ऐतिहासिक साबित हो सकता है क्योंकि यह दुनिया की किसी अंतरिक्ष एजेंसी का पहला ऐसा अनोखा अभियान है जो सूर्य के सबसे करीब पहुंचेगा।

‘टच सन’ मिशन के लिए तैयार पार्कर सोलर प्रोब को डेल्टा-IV हैवी रॉकेट से केप कनावरल एयरफोर्स स्टेशन से अमेरिकी समायानुसार 3:33am बजे 11 अगस्त 2018 दिन शनिवार को लॉन्च किया जाएगा। यानी भारतीय समय के हिसाब से देखें तो यह आज दोपहर करीब 2 बजकर 54 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा।

इस मौके पर लॉन्च पैड पर मौजूद यएलए के जनरल मैनेजर ब्रेन टालिआंसिच ने कहा कि लॉन्चिंग के लिए प्रत्येक तैयारी परफेक्टली हुई। टेक्निशिन्स ने कई बार डेल्टा VI की जांच कर चुके हैं। एयरफोर्स के लॉन्च पैड के आस पास लोगों की आवाजाही कम कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस लॉन्च को लेकर इतनी ज्यादा बेचैनी है कि उससे होने वाला मानसिक तनाव लगातार बना हुआ है।

पार्कर सोलर प्रोब को 30 जुलाई को ही लॉन्चिंग पैड पर पहुंचा दिया गया था। इसके बाद एयरक्राफ्ट की मदद से डेल्टा VI रॉकेट को लॉन्चिंग पैड पर खड़ा किया गया। रॉकेट अंतरिक्ष यान के साथ जमीन से 230 फीट की ऊचाई पर लगाया गया है। यह रॉकेट बहुत ही विशाल काय है। इसकी लंबाई 72 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। इसमें 600 टन का ईंधन भरा हुआ है।

नासा के ‘टच द सन’ अभियान से जुड़ी खास बातें –

1-यहं अंतरिक्ष यान 724,000kph की गति से उड़ान भरेगा।
2- पृथ्वी से सूर्य की दूरी 149.6 मिलियन किमी यानी 1496 करोड़ किलोमीटर है।
3- नासा का अंतरिक्षयान पार्कर सोलर प्रोब जब सूर्य के सबसे करीब होगा जब उसकी सूर्य से दूरी करबी 6.2 मिलियन किलोमीटर यानी 62 करोड़ किलोमीटर होगी।
4- 2 अक्टूर को यह वीनस की कक्षा में पहुंचेगा। यह अंतरिक्ष यान नवंबर के महीने में सूर्य के सबसे करीब पहुंचे और दिसंबर में वापसी के लिए उड़ान भरेगा।
5- जब यह यान सूर्य के नजदीक होगा जब वहां 1400 डिग्री सेल्सियस का तापमान होगा। इस तापमान से यान को बचाने के लिए 12 सेमी मोटी ऊष्मारोधी परत लगाई गई है।
6- नासा का सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान सूर्य के करीब 62 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर पहुंच कर सूर्य की तस्वीरें खींचेगा और सूर्य के तापमान का अध्ययन करेगा।

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