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2 जी केस: राज्यसभा में विपक्ष का जोरदार हंगामा, कार्यवाही स्थगित

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी और 2-जी घोटाला मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के अदालत के फैसले को लेकर सत्ता पक्ष से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे कांग्रेस सदस्यों के भारी हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक आज शुरू होने के करीब बीस मिनट बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।

इसके बाद सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि करीब एक सप्ताह से कांग्रेस सदस्य मांग कर रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी सदन में आएं और गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ की गई अपनी कथित टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दें। आज प्रश्नकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रश्न हैं। उन्होंने कहा कि आज और कुछ ऐसा हुआ है जिसे लेकर भी पार्टी और विपक्ष को स्पष्टीकरण चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘आज उस मामले में फैसला आया है जिस मामले को लेकर हम विपक्ष में और आप ( राजग ) विपक्ष से सत्ता में आए। आज टू जी मामले में अदालत का फैसला आया जिसमें सभी आरोपी बरी कर दिए गए। इससे साबित होता है कि आपने एक लाख 76 हजार करोड़ रूपये के टू जी स्पैक्ट्रम घोटाले का जो आरोप लगाया था वह गलत था।’’

इस बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि इस सदन में कोई ऐसी बात नहीं हुई है जिस पर स्पष्टीकरण देना पड़े। बहुत सारा सरकारी कामकाज रूका हुआ है इसलिए सदन की कार्यवाही चलने देना चाहिए। आजाद ने कहा ‘‘क्या यह आरोप नहीं है कि मनमोहन सिंह पाकिस्तान के साथ षड्यंत्र कर रहे थे ?’’ उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पर लगाए गए इस आरोप पर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि टू जी घोटाला मामले में भी आपके ( सत्ताधारी दल के ) आरोप गलत साबित हुए हैं। सभापति एम वेंकैया नायडू ने आजाद को यह मुद्दा उठाने से रोकते हुए कहा ‘‘आपने इसके लिए कोई नोटिस नहीं दिया है इसलिए मैं आपको यह मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दूंगा। ’’ इस बीच कांग्रेस सदस्य आसन के समक्ष आ कर सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ नारे लगाने लगे।

नायडू ने तल्खी भरे शब्दों में आजाद से उनकी पार्टी के सदस्यों को वापस बुलाने के लिए कहा। उन्होंने कहा ‘‘लोकतंत्र का मतलब शोर करना नहीं होता बल्कि नियमों के अनुसार काम करना होता है। जिस विषय को उठाने की अनुमति नहीं दी गई है, उसे नहीं उठाएं। अगर सदन में कोई गंभीर बात हुई है तो उसे उठाया जाना चाहिए। सदन के बाहर के मुद्दे यहां न उठाएं।’’

नायडू ने अपनी बात के समर्थन में पूर्व सभापति शंकर दयाल शर्मा द्वारा दी गई व्यवस्था का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा ‘‘यह चलन हो गया है कि विभिन्न मुद्दे उठाने के वास्ते कामकाज निलंबित करने के लिए नियम 267 के तहत कई नोटिस दे दिए जाते हैं। ’’ आसन के समक्ष नारे लगा रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील करते हुए नायडू ने कहा ‘‘यह भाजपा कांग्रेस का मसला नहीं है। यह सदन है। यहां प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और किसी राजनीतिक दल का नाम लेना ठीक नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि सदन में मौजूद सदस्यों की तीन चौथाई संख्या चाहती है कि सदन चले। ‘‘लेकिन आप सदन नहीं चलने देना चाहते। मैंने विषय की गंभीरता को देखते हुए आपसे, विपक्ष के नेता और सदन के नेता से बात कर बीच का रास्ता निकालने का सुझाव दिया था। आपको यह स्वीकार नहीं है तो कोई क्या कर सकता है।’’ आजाद ने नारे लगा रहे सदस्यों को अपने स्थानों पर जाने के लिए कहा। इसके बाद सदस्य लौट गए लेकिन अपने स्थानों से ही वह स्पष्टीकरण की मांग करते रहे।

नायडू ने शून्यकाल के तहत मुद्दे उठाए जाने के लिए सूचीबद्ध नाम पुकारे। पहला नाम कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का था लेकिन तिवारी ने अपना मुद्दा उठाने से मना कर दिया। तब अगला नाम नायडू ने सपा के रामगोपाल यादव का लिया। यादव ने अपना मुद्दा उठाना शुरू किया लेकिन हंगामे की वजह से उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। इसी दौरान कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कुछ कहना शुरू किया। नायडू ने उन्हें बैठने और सदन की कार्यवाही चलने देने को कहा। लेकिन शर्मा बोलते रहे। तब नायडू ने कहा ‘‘आसन की अवज्ञा करना सही नहीं है। यह पद्धति नहीं है।’’ सदन में व्यवस्था बनते न देख सभापति ने 11 बज कर करीब 20 मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

इससे पहले सपा की जया बच्चन ने कहा कि सदन में महिलाओं को भी बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कर्नाटक में एक पिं्रसिपल की कथित पिटाई का मुद्दा उठाने का प्रयास किया। नायडू ने कहा कि वह उन्हें अपनी बात रखने का अवसर देंगे।

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