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मध्य प्रदेश में प्राईवेट कृषि कॉलेजों का विरोध

मप्र । प्रदेश में ​कुल दो सरकारी विश्वविद्यालय है,जिनके अन्तर्गत दो दर्जन सरकारी कॉलेज संचालित किए जाते है। इन कॉलेजों में लगभग 200 सीट निर्धारित है इन सीट पर प्रवेश के लिए हर साल परीक्षा होती है। मैरिट के आधार पर सरकारी कॉलेजों में छात्रों को प्रवेश होता है। लेकिन ठीक इसके विपरित निजि कॉलेजों में कक्षा 12वीं उत्र्तीर्ण करने के बाद बिना प्रवेश परीक्षा आयोजित कर प्रवेश दिया जा रहा है। ए​क ही पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए दो तरह की प्रक्रियाएं अपनाई जा रही है। सरकारी कॉलेजों के विद्यार्थियों द्वारा इसी तरह से कृषि शिक्षा में हो रहे निजिकरण का विरोध कर रहे है। सबसे पुराने कृषि कॉलेज सीहोर में विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है।

 

आरएके कृषि कालेज के विद्यार्थियों का प्रदेश व्यापी आंदोलन जिला मुख्यालय पर सोलवे दिन भी जारी रहा। विद्यार्थियों ने हड़ताल,,विरोध रैली नारेबाजी जैसे प्रदर्शनों के बाद सोमवार को आरएके कॉलेज भवन मुख्य द्वार पर ताला जड़ा दिया। विद्यार्थियों ने के द्वारा गेट पर ताला लगाने के कारण कॉलेज के प्रोफेसर कृषि वैज्ञानिक सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी अपने विभागीय कक्षों में नहीं जा सके। विद्यार्थियों के विरोध के चलते कॉलेज के सभी कामकाज ठप हो गए। विद्यार्थियों ने अपनी आठ मांगों को पूरा कराने के लिए हाथों में बेनर पोस्टर रखकर जमकर नारेबाजी की। देश का कल्चर, एग्रीकल्चर जैसे नारे लगाए कमलनाथ सरकार के मत्री सचिन यादव के मुरादाबाद के नारे प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों के मध्य मौके पर दोपहर तक कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचे थे। विद्यार्थियों के मुताबिक मध्यप्रदेश में कई प्राइवेट कृषि कालेज सैकड़ों विद्यार्थियों को बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री गलत तरीके से बांट रहे है। जिससे आईसीएआर से मान्यता प्रात शासकीय विश्वविद्यालय जेएनकेव्हीव्ही जबलपुर एवं आरव्हीएसकेव्हीव्ही ग्वालियर यूनिवर्सिटी में ईमानदारी से अध्यन कर रहे विद्यार्थियों पर इसका गलत प्रभाव पड़ रहा है। जिसके विरोध में पूरे मध्यप्रदेश के शासकीय कृषि कालेजों, यूनिवर्सिटी में राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन, हड़ताल एवं कैंडल मार्च कर प्रदर्शन किये जा रहे है।

 विद्यार्थियों की मांग
राज्य शासन प्रदेश के समस्त प्राइवेट कृषि कालेज एवं प्राइवेट यूनिवर्सिटी को आईसीएआर की गाइडलाइन्स का पालन करने को कहे, पालन नहीं करने पर इनकी मान्यता रद्द कर दी जाए। इसके अलावा इन प्राइवेट कालेजों से बीएससी कृषि स्नातक की डिग्री ले चुके स्टूडेंटस। अब जवाहरलाल नेहरु कृषि यूनिवर्सिटी एवं आरव्हीएसकेव्हीव्ही ग्वालियर यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री करने के लिए आवेदन दे रहे है। जिसका राज्य सरकार द्वारा समर्थन किया जा रहा है, जोकि गलत है, सरकार प्राइवेट कृषि कालेजों के विद्यार्थियों को मास्टर डिग्री के लिए एडमिशन नहीं दे। इसी वर्ष 30 जनवरी को आईसीएआर द्वारा अपनी बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया था कि आईसीएआर एके्रडिशन प्राप्त संस्थान अपने यहां कि आईसीएआर एक्रेडिशन वाले कालेज से डिग्री लिए विद्यार्थियों को ही एडमिशन देंगे, मध्यप्रदेश के दोनों शासकीय कृषि विश्व विद्यालय में इस नियम का कड़ाई से पालन हो। राज्य सरकार की आखिर ऐसी क्या मजबूरी हो गई है कि वो प्राइवेट कृषि कालेजों, विश्वविद्यालय जोकि गलत तरीके से सैकड़ों की संख्या में कृषि स्नातकों को हर साल डिग्री दे रहे है, उनको समर्थन कर रही है। राज्य के दो शासकीयच कृषि यूनिवर्सिटी आईसीएआर मान्य से पिछले दस सालों में डिग्री लेकर निकले हजारों की संख्या में बेरोजगार कृषि स्नातकों का क्या होगा। राज्य सरकार द्वारा कृषि विभाग में कोई वैकेंसी लंबे समय से नहीं आई है। जल्द से जल्द वैकेंसी निकाल कर पदों पर सिर्फ आईसीएआर मान्यता प्राप्त संस्थान के विद्यार्थियों को ही प्राथमिकता दी जाए। मंदसौर के उद्यानिकी कालेज से स्नातक कर चुके विद्यार्थियों को बीएससी कृषि के समकक्ष मान्यता दी जाए। इसके अलावा मृदा विज्ञान प्रयोगशाला का पूरे प्रदेश में गलत तरीके से निजीकरण कर दिया गया है यह भी अनुचित है। इस पर प्रतिबंध लगाया जाए। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।

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