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आपदा में अवसर- मुनाफा खोरी और कालाबाजारी से कराहता आमजन

जोरावर सिंह

कोरोना के काल के दौरान कई लोग कोरोना से जूझ रहे लोगों की मदद कर रहे है, कई सामाजिक संगठनों द्वारा गरीबों को भोजन भी उपलब्ध कराया जा रहा है, मगर कुछ ऐसे भी है जो आपदा में अवसर तलाश रहे हैं, शायद यही वजह है कि जैसे जैसे लॉकडाउन के दिन बढते जा रहे हैं, रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में इजाफा होता रहा है। इसका सीधा असर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का इसका नुकसान उठाना पड रहा है। फिर से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को जीवन यापन के जददोजहद के लिए विवश होना पड रहा है।


कोरोना की दूसरी लहर ने देश सहित मध्य प्रदेश में बेकाबू है, इस लिए लॉकडाउन लगा हुआ है, इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा तमाम प्रयास किये जा रहे है। इन प्रयासों के बाद भी व्याप्त अव्यवस्थाओं के कारण यानी कि कहीं आक्सीजन की किल्लत तो कहीं बेड नहीं मिलने, रेमडेसिवर इजेक्शन की मारा मारी की वजह से लोगों की जानें जा रही हैं। दूसरी तरफ घरों में कैद हैं। छोटे छोटे कारोबार कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाला मध्यम वर्गीय वर्ग इस समय मुश्किल के दौर में आ गया है।


-खाद्य वस्तुओं के बढते दाम

कोरोना बढते मामलों को देखते हुए सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाया गया है, बाजार बंद है, मध्यप्रदेश के प्रभावित जिलों में निर्धरित समय एवं कहीं निर्धारित दिनों में बाजार खुल रहे है। ऐसे में लोगों को दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बाजार से सामान खरीदने का निश्िचत समय ही मिल रहा है, इस दौर का कई लोगों द्वारा बखूबी उठाया जा रहा है। सबसे दामों की तेजी खाद्य पदार्थों के दामों इजाफा देखा जा रहा है, छोटी छोटी वस्तुओं के दुगने दाम आम आदमी को देने पड रहे है, इसमें खाद्य तेल से लेकर किराने अन्य सामानों के दामों में लगातार इजाफा हो रहा है। जो आमजनों पर और आिर्थक बोझ डाल रहे हैं


-आमदनी जीरो खर्च में इजाफा


इस कोरोना काल के दौरान मजदूरों से लेकर मध्यवर्गीय लोगों के काम धंधे बंद है,निर्माण कार्य भी बंद है, इसलिए गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को अपने परिवार के भरण पोषण के लिए जमा पूंजी का ही खर्च करना पड रहा है। और जिन लोगों के पास जमा पूंजी नहीं है, उन्हें यदि लॉकडाउन की स्थिति और आगे बढी तो कर्ज लेने की नौबत आ सकती है, हालांकि सरकार द्वारा गरीब परिवारों को मुफ्त में गेहूं प्रदान की करने की बात कही गई है। इससे खाद्यान्न में तो उन्हें कुछ मदद िमल जाएगी, लेकिन अन्य खर्चों ने उन्हें मुश्किल में डाल रखा है।


-किश्तों का बोझ अलग

अब कोरोना की स्थिति को देखकर सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन के दिनों में और इजाफा हो सकता है, गरीबों की बात की जाए तो छोटे छोटे कर्ज अपनी छोटी छोटी जरुरतों को पूरा करने के लिए समूह लोन ले रखा है, जिनकी किश्तें वह प्रति सप्ताह में जमा करती है, लेकिन काम धंधा बंद होने के कारण से अब गरीब परिवार कैसे यह किश्तें चुका सकेंगे, दिनों दिन उनकी मुश्किल में इजाफा हो रहा है। यदि और लॉकडाउन बढता है, समूह किश्तों के साथ मध्यम वर्गीय परिवारों को दुपहिया वाहनों की किश्तों को जमा करने के लिए भी परेशान होना पड रहा है।


-मुनाफाखोरों पर लगे लगाम


जैसे जैसे लॉकडाउन की समय अवधि में इजाफा हो रहा है, वैसे वैसे ही रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में इजाफा हो रहा है, शहरों में यह स्िथति है कि छोटी छोटी वस्तुओं के दाम ग्रामीण अंचलों में क्या होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को मुश्िकलों के साथ और अिधक आर्थिक बोझ का सामना करना पडेगा। दालों से लेकर अन्य खाद्य वस्तुओं को मंहगे दामों पर बेचकर मुनाफा खोरी कर रहे है। इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है।


अब वालिंटयर करेंगे मदद

मध्यप्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, कोरोना से होने वाली मौतों के आंकडे भी भयावह हालात बयां कर रहे है। इसको लेकर सरकार के प्रयासो में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आव्हान पर प्रदेश में अब तक एक लाख पाँच हजार से अधिक वॉलेंटियर्स ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। ये कोरोना वॉलेंटियर्स राज्य सरकार के सहयोगी बन कर कोरोना के प्रति जन-जागरूकता लिए काम करेंगे। इसमें राजनीतिक दलों, जिला क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप, नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र के जन-प्रतिनिधियों, मीडिया, धर्मगुरुओं, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, नर्सेस, पैरा मेडिकल स्टॉफ, आशा कार्यकर्ता, पैथ लेब्स, रेडियोग्राफर्स, स्वयं-सेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों, और मध्यप्रदेश उद्योग परिसंघ (फिक्की) के पदाधिकारियों से वर्चुअल संवाद कर संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार का सहयोग करने की अपील की है।

-आक्सीजन की कमी के कारण से कोरोना पीडितों की मौतें

मध्यप्रदेश में आक्सीजन की कमी के कारण से कोरोना पीडितों की मौतें हो चुकी है रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए कोरोना पीडित अस्पताल दर अस्पताल भटक रहे है। कई स्थानों पर डाक्टर और स्टाफ के साथ कोरोना पीडित मरीजों के परिजनों द्वारा अभ्रदता भी की जा रही है। नतीजन प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ने प्रदेश के कई अस्पतालों में चिकित्सकों के साथ अभद्रता के मामलों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने उन अस्पतालों में फोर्स को तैनात करने के लिए आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए। डॉ. मिश्रा ने लोगों से अपील है कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के साथ किसी भी तरीके की अभद्रता न करें, प्रशासन को सहयोग करें।

इधर मुनाफा खोरी उधर कालाबाजारी

कोरोना काल में आपदा को अवसर में बदलने वाले लोगों को पहचानने की आज जरूरत है, इससे इन पर लगाम लगाई जा सके, एक ओर तो जहां कोरोना पीडित परिवारों को जीवन रक्षक इंजेक्शन के लिए भटकना पड रहा है तो वहीं दूसरी परिवार के भरण पोषण के लिए दुगने दामों पर खाद्य वस्तुओं का खरीदना पड रहा है। बडा सवाल यह है कि कोरोना की दवाईयों के वितरण में सरकार की निगरानी होने के बाद भी कालाबाजारी कौन कर रहा है, इनकी पहचान क्यों नहीं हो पा रही है, इनकी कालाबाजारी से जहां कोरोना मरीजों के परिवार मुश्िकल में है तो वहीं मुनाफाखोरी के फेर में आमजन कराह रहा है।

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