मुख्य समाचारराष्ट्रीयविश्व

1983 में 12 दिन तिहाड जेल में रहे नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी

— जेएनयू के कुलपति का किया था घेराव,लगा था हत्या के प्रयास का आरोप
— बाद मे विश्विद्यालय ने आरोप वापस लिए

दिल्ली। साल 1983 मई के माहिने में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समेस्टर परीक्षाएं होने वाली थी। इस सेमेस्टर परीक्षा की तैयारी अ​र्थशास्त्र में नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी भी कर रहे थे। इसी समय विद्यार्थियों ने अंदोलन शुरू कर दिया और एक दिन कुलपति का घेराव कर दिया,विद्यार्थियों की पुलिस के साथ भी बहस हुई। पुलिस और विश्वविद्यालय ने कुलपति के कहने पर घेराव करने वाले विद्यार्थियों को कुलपति की हत्या और पुलिस से झुमाझटकी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने लगभग 400 विद्याथियों को गिरफ्तार  किया था जिसमें नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी भी शामिल थे। अभिजीत बनर्जी और अन्य विद्यार्थियों को 12 दिन तक तिहाड जेल में रखा गया। बाद में हंगामा होने पर विश्वविद्यालय ने सभी आरोप वापस लिए और पुलिस ने भी विद्यार्थियों के भाविष्य को देखते हुए नरमी बरती। इन सबको जेल से रहा कर दिय गया।

इस घटना के ठीक एक साल बाद अभिजीत बनर्जी हार्वर्ड से पीएचडी करने गए थे। अगर विश्वविद्यालय और पुलिस आंदोलन कर विद्यार्थियों की भावना को समझते हुए उन पर लगे आरोप वापस नहीं लेतें तो अभिजीत बनर्जी हार्वर्ड से पीएचडी नहीं कर सकतें थे। अभिजीत बनर्जी ने जेएनयु से 1981 से 1983 तक अर्थशास्त्र में एमए किया। उनके साथी बताते है कि अभिजीत बनर्जी किसी भी छात्र गुट में शामिल नहीं थे फिर भी सभी आंदोलन,धरना,प्रदर्शन में प्रभावी तारीके से शामिल रहते थे। उनके साथियों के अनुसार अभिजीत बनर्जी यूएस न जाकर ब्रिटेंन में रहना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभिजीत व्यक्तिगत जीवन में सहज,सरल और मिलनसार है। उन्हें जब भी मौका मिलता था वो खाना बनाना और संगीत सुनना पंसद करते है। बनर्जी को दर्शनशास्त्र और सहित्य की अच्छी समझ है। जब जेएनयु में विद्यार्थियों को देशद्रोही नारे लगाने के आरोप में पुलिस ने पकडा था जब अभिजीत बनर्जी ने अंग्रेजी अखबारों में लेख लिखे थे जो उस समय काफी चर्चा में रहे थे। उन्होंने कश्मीर के हालात पर भी बहुत कुछ लिखा और बोला है।

विश्वविद्यालयों में शिक्षा लेने के लिए पहुंचे वाले विद्यार्थियों को सिर्फ यह कहना कि हम तो सिर्फ यहां पढने आए है हम क्या करना चाहे जो होता रहे। दरअसल वे यही से अपनी बर्बादी लिखना शुरू कर देते है। खोखली शिक्षा से समाज या देश प्रगति नही करता। यह तक आपका खुद का भी विकास नहीं होता। आप सिर्फ 10 से 5 या और कई घंटे काम करने वाले गुलाम से ज्यादा कुछ नहीं बन सकते। कुछ गलत हो रहा है तो विरोध करना, आवाज उठना,सही गलत का र्फक की समझ पैदा करना ही भी जरूरी है।

Related Articles

Back to top button