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मप्र रायसेन बस हादसा: अस्पताल से गायब डॉक्टरों को जांच से बाहर रखा

— कलेक्टर ने जांच का जिम्मेदारी एसडीएम को सौंपी
— बस के आसपास की रखे गए है जांच के बिन्दु

मध्यप्रदेश। प्रदेश के रायसेन जिले में हुआ बस हादसे में 4 अक्तुबर 2019 शुक्रवार को मजिस्ट्रीयल जांच के लिए के आदेश दिए है। आदेश के अनुसार एसडीएम एलके खरे को जांच अधिकारी नियुक्त किया। जांच 45 दिन प्रस्तुत करने की समय सीमा निर्धारित की है। जांच आदेश में तय किए बिन्दुओं में हादसे की रात सरकारी जिला अस्पताल से गायब डॉक्टरों को बाहर रखा गया है। आदेश में आस्पताल की लपरवाही का कोई जिक्र नहीं है। इससे साफ लगता है कि जिला प्रशासन ने गायब डॉक्टरों को पहले ही क्लिीन चिट दे दी है।

जानकारी के अनुसार रायसने कलेक्टर उमाशंकर भार्गव द्वारा जारी किए गए जांच आदेश में जांच के बिन्दु निर्धारित किए गए है। जांच अधिकारी को इन जांच बिन्दुओं पर जांच करना है। आदेश में किन परिस्थितियों में बस दुघटना हुई? बस में कुल कितने यात्री सवार थे,उनमें कितने यात्रियों की मृत्यु और घायल हुए। बस दुर्घटना किन कराणों से हुई?। दुर्घटनाग्रस्त बस का वाहन पंजीयन, किटनेस, बीमा एंव अन्य दस्तावेज की वैधता ?। क्या दुर्घटना के समय ड्रायवर का लायसेंस की जांच और ड्रायवर वाहन चालने में क्या सक्षम था। दुर्घटना के समय बस की स्पीड क्या थी?। दुर्घटना में मृतकों के शव का पोस्टमार्टम करवाया गया?। अन्य बिन्दु जो जांच के दौरान के दौरान दृष्टिगत हो।

इस जांच में सरकारी अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों को जांच के दायरे में नहीं लाया गया है। इससे साफ होता है कि जिला प्रशासन यह मान ही नहीं रहा कि जिला अस्पताल में लपरवाही हुईं है। गौरतलब है कि 2—3 अक्तुबर 2019 की दरमियानी रात भोपाल से छतरपुर जा रही एक यात्री बस बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात डेढ़ बजे रायसेन दरगाह के नजीदीक बने रीछन नदी के पुल में अनियंत्रित होकर नीचे गिर गई। जिससे उसमें सवार 7 यात्रियों की मौत हो गई,जबकि 20 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और घायलों को रायसेन जिला अस्पताल में भर्ती कराया। उस समय अस्पताल में सिर्फ एक डॉक्टर था,शेष डॉक्टर अपने निवास में ताला लगाकर भोपाल अपने घर पर सो रहे थे। जिसकी वजह से घायल मरीजों को रायसेन अस्पताल से भोपाल रेफर किया गया।

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