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लाॅकडाउन में तारों को बनायें अपना साथी, शाम को अकााश में किजिए ओरियन से साक्षातकार

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]सारिका घारू[/mkd_highlight]

 

लाॅकडाउन में शाम को आकाश में अनेक महत्वपूर्ण तारामंडलों से आप सीधे साक्षात्कार कर सकते हैं। सूर्यास्त के बाद पश्चिमी दिशा में आप शुक्र ग्रह के बांई ओर ओरियन या कालपुरूष तारामंडल को दो घंटे तक देख सकते हैं। कालपुरूष, शिकारी या ओरायन आमतौर पर पहचाना जाने वाला तारामंडल हैं। इसमें सात मुख्य तारे हैं। वैसे इसमें दर्जनों तारे हैं।

इस तारामंडल में तीन तेजी से चमकने वाले तारे एक सीधी रेखा में दिखते हैं जिसे कालपुरूष का बेल्ट कहते हैं। आकाश के पच्चीस सबसे ज्यादा चमकने वाले तारों में से तीन ओरियन में पाये जाते हैं और इनको मिलाकार एक मनु की संरचना की कल्पना की जा सकती है जिसकी उठे हुये हाथ एक क्लब को पकडे हुये है ।

दूसरे हाथ में शेर की खाल है। इतिहास में विभिन्न सभ्यताओं ने आकाश में तारों के बीच कल्पित रेखायें खींचकर कुछ आकृतियों की कल्पना की है जिन्हें नाम दे दिये गये है। ओरियन या कालपुरूष भी एक तारामंडल है।

इसके दाहिने कंधे का नारंगी रंग का बेटेल्ग्यूज इसका अल्फा सितारा है जिसे भारत में आद्रा नक्षत्र के नाम से जाना जाता है। है। जिसकी हमसे दूरी 624 प्रकाशवर्ष है। दूसरा एक प्रमुख तारा रीगल है जो 772 प्रकाशवर्ष दूर है।

— क्या होता है प्रकाशवर्ष

प्रकाशवर्ष लंबाई के मापन की इकाई है। इस इकाई की मदद से दो खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी को दर्षाया जाता हैं। एक प्रकाशवर्ष का अर्थ होता है प्रकाश द्वारा एक साल में चली गई दूरी। इसका मान लगभग 950 खरब किमी होता हैं । आज ओरियन के रीगल तारे को आप देख पा रहे हैं उसका प्रकाश तो आज से 772 साल पहले सन 1248 में चला था। तो अगर बादल बाधा न बने तो इसे आज ही देख लीजिये क्यों कि यह सिर्फ एक सप्ताह का मेहमान है, अभी आपने नहीं देखा तो दिसम्बर तक का इसको देखने का इंतजार करना होगा।

 

 ( लेखिका नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक )

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