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हाथियों के हमले न रोक पाने पर सरकार के खिलाफ सभा और रैली

छत्‍तीसगढ़ के कोरबा जिले में हाथी के हमलों से ग्रामीणों को बचाने में नाकाम वन विभाग और राज्य सरकार के असंवेदनशील रवैये के खिलाफ सोमवार को विशाल सभा की गई और रैली निकली गई. ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर हसदेव अरण्य क्षेत्र की सभी खनन परियोजनों को निरस्त करने की मांग भी दोहराई.

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले कोरबा के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम मोरगा में सभा और रैली का आयोजन कर सरगुजा और कोरबा जिले के गांव में मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति पर चिंता जताते हुए आक्रोश प्रकट किया गया. ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि खनन परियोजनाओं के कारण ही हाथियों के आबादी क्षेत्रों में हमले बढ़े हैं. सभा के बाद रैली निकालकर छह बिन्दुओं पर कलेक्टर के नाम पर ज्ञापन वन विभाग के स्थानीय डिप्टी रेंजर को सौंपा गया.

सभा में जनपद सदस्य उमेश्वर सिंह अर्मो ने कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में पिछले दो सप्ताह के अंदर ही हाथियों के हमले से पांच लोगों की मृत्यु हो गई और लगभग दो दर्जन घरों को भी भारी नुकसान हुआ है. वर्तमान समय में ग्रामीण दहशत के जिंदगी जीने में मजबूर हैं. हाथियों के आने-जाने की सूचना और उनके हमलों से बचाने के लिए वन विभाग द्वारा प्रभावी भूमिका नहीं निभाए जाने पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने वन विभाग द्वारा वन प्रबंधन में की जा रही उदासीनता, लापरवाही और खनन को मानव-हाथी संघर्ष का कारण बताया.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ के 17 जिलों में मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति बहुत ही गंभीर हो चुकी है. पिछले 5 वर्षों में 200 से अधिक ग्रामीणों की मृत्यु हाथि‍यों के हमलों से हो चुकी है. कोरबा और सरगुजा जिले में स्थित हसदेव अरण्य क्षेत्र में भी मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है. सरकार खनन कंपनियों के मुनाफे के लिए हसदेव अरण्य जैसे सघन वन क्षेत्र का विनाश कर रही है, जिसका खामियाजा यहां के ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है.

बिलासपुर नेचर क्लब के सदस्य प्रथमेश ने कहा कि लेमरू क्षेत्र में हाथी के रहवास के लिए आदर्श स्थितियां हैं. सरकार उसे पुनः हाथी रिजर्व बनाए. साथ ही पूरे हसदेव को खनन मुक्त करे. इससे हाथी और इंसान के बीच का संघर्ष खत्म होगा. सभा में मोरगा, खिरती, गिड़मूड़ी, पतुरिया डांड, धजाक, उच्चलेंगा, मदनपुर, जामपानी, केरहियापारा सहित सरगुजा के ग्राम साल्ही, फतेहपुर आदि गांव के लोग शामिल हुए.

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