भारत : कोरोना विस्फोट और काला बाजारी
जोरावर सिंह
मध्यप्रदेश में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है, रोजाना 12 हजार से कोरोना से पीडित सामने आ रहे है। इसके साथ ही मौतों के आंकडों में बढोत्तरी हो रही है। इस कारण से जन मानस में भय का वातावरण भी बन रहा है। भयावह स्थिति का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते एक सप्ताह में ही सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सैकडों मरीजों की मौत हो चुकी है। बढ़ते कोरोना के मामलों के प्रदेश सरकार पर विपक्ष की घेराबंदी भी बढती जा रही है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के संदर्भ में कहा है कि कोरोना के विरूद्ध यह युद्ध है और मैदान में उतरने के अलावा हमारे सामने कोई और रास्ता शेष नहीं है। हम सब मिलकर इस चुनौती का सामना करें। स्वयं पर संयम और सकारात्मक रहते हुए लगातार अपने प्रयासों में जुटे रहें।
–विचलित कर रही है यह खबरें
प्रदेश में कोरोना के मामलों को देखते हुए सरकार निर्देशों के बाद कोविड सेंटर फिर से खुल गए हैं, जहां कोरोना पीडितों का उपचार किया जा रहा है, तो दूसरी ओर आक्सीजन की कमी के कारण से कोरोना पीडितों की मौत, श्मशानों में जलती लाशें, और कोरोना के जीवन रक्षक इंजेक्शन की कालाबाजारी भी सामने आई है। जो कोरोना पीडितों की मुिश्कलों में और इजाफा कर रही है।
—संसाधनों की कमी में सावधानी जरुरी
प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर स्थिति अस्पतालों और कोविड सेंटरों में संसाधनों की कमी है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, प्रदेश के प्रत्येक जिले में औसतन रोजाना 200 से अिधक कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे है। ऐसे में कोरोना से पाजीटिव मरीज गंभीर नहीं है, वह अपने घरों में ही है, इसके साथ ही उनके संपर्क में आए लोग भी अपने अपने घरों पर है। यदि सावधानी नहीं बरती गई तो मुश्किलें और बढ सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 30 अप्रैल तक हम अपने घर, गाँव, मोहल्ले, कॉलोनी से बाहर नहीं निकलेंगे। स्वयं पर यह नियंत्रण लगाकर और प्रण करके हम कोरोना के विरूद्ध युद्ध में अपना सहयोग देने की अपील की है।
–सरकार के सामने चुनौतियां
प्रदेश में कोरोना जिस गति से फैल रहा है, सरकार के सामने रोज नई चुनौतियों आ रही है, पहली बडी चुनौती है कि जिलों के स्वास्थ्य महकमों में स्टाफ की कमी है, इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को स्टाफ की व्यवस्था करने के निर्देश दिये है। जिला मुख्यालयों पर आक्सीजन की उपलब्धता, सार्वजिनक स्थानों एवं बाजारों में जुटने वाली भीड को रोकना, सहित दवाओं की कालाबाजारी को रोकना बडी चुनौती बन गई है।
अब प्रदेश सरकार के प्रयास
प्रदेश में कोरोना की भयावह स्िथति से पार पाने के लिए सरकार ने कुछ फैसले लिए है। इसमें भोपाल के हमीदिया अस्पताल की चौथी मंजिल में 94 बिस्तर तथा नौवीं मंजिल में 60 बिस्तर वाले जनरल वार्ड का सिविल वर्क पूरा कर लिया गया है। 10वीं और 11वीं मंजिल पर ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछाने का काम ,22 अप्रैल तक 120 आक्सीजन युक्त बिस्तरों वाला वार्ड तैयार करने की कवायद, आगामी 30 अप्रैल तक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए 105 टैंकरों की आवश्यकता होगी, जिनमें से 53 टैंकरों की व्यवस्था हो गई है। शेष के लिए प्रयास जारी हैं। प्रदेश में अगले तीन सप्ताह से तीन महीने में ऑक्सीजन के 37 प्लांट स्थापित कर दिए जाएंगे। सारणी और खण्डवा के ताप विद्युत गृहों से 200 सिलेंडर प्रतिमाह ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की जा रही है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे शहरों में दो-दो हजार बिस्तरों और बाकी बड़े शहरों में एक-एक हजार बिस्तरों की व्यवस्था की जा रही है। प्रभारी मंत्री, कोरोना वॉलेंटियर्स और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से आवश्यक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा वितरण का कार्य पुन: आरंभ किया जाएगा।
–फिर बढ सकती है मुश्किलें
देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, खासकर देश के महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात के शहरों में राेजी रोटी कमाने के लिए बडे पैमाने पर मजदूर वर्ग जाता है, अब वहां कोरोना के बढते मरीजों की संख्या के कारण लाकडाउन हो गया है। इसलिए जो मजदूर वहां काम कर रहे थे, वह लौटने लगे है, दूसरी तरफ कुंभ मेले से भी श्रद्धालु लौट रहे है, अब इनकी जांच भी एक नई चुनौती है, इसमें लापरवाही कोरोना के मरीजों की संख्या में और इजाफा कर सकती है।
….तो क्या होगा?
प्रदेश में कोरोना पीडित मरीजों की जीवन रक्षा करने में सहायक इंजेक्शन कालाबाजारी हो रही है, यह अब उजागर भी हो गया है, पर चिंता का विषय है कि यदि इस इंजेक्शन की कालाबाजारी पर विराम नहीं लगता है, और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं होती है तो कालीबाजारी के दौर में गरीब, मध्यमवर्गीय लोग मंहगे दामों पर जीवन रक्षक इंजेक्शन नहीं खरीद सकते है। उन मरीजों के जीवन की रक्षा कैसे होगी। यह सवाल इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है।