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BIHAR ELECTION 2020 : धुर विरोधी नेताओं के साझा मंच किस ओर ले जाएंगे बिहार की सियासत को

 बिहार ।  सियासत इस समय बिहार और मध्यप्रदेश पर टिकी हुई। दोनो ही राज्यों के चुनावों के परिणाम सियासत का एक नया रास्ता खोलेंगे, वर्तमान के हालात कुछ भी हो, सियासी दल अपनी अपनी ताकत के अनुसार सियासी इबारत लिखने में जुट गए है, गठबंधन बनने और बिगड़ने लगे हैं, कौन किसके साथ जाएगा किसका दामन थामेगा। इसकी शुरूआत हो गई और अंत टिकट वितरण के आखिरी दिन तक जारी रहेगा।
देश का बिहार वह राज्य माना जाता है जो सियासत को नया आयाम देता आया है, इस बार फिर बिहार में विधान सभा चुनावों का बिगुल बज चुका है, चुनावों की तारीखें भी सामने आ गई है। चुनावी दल और जो चुनाव मैदान उतरने वाले उनकी भी जोर आजमाइश शुरू हो गई है। बिहार में गठबंधन का इितहास पुराना है, गठबंधन अभी तो बनने शुरू हुए है। आगे और क्या स्वरूप लेंगे इसका तो अभी इंतजार करना होगा।
– बहुजन सियासत की मजबूत जमीन बिहार
बिहार में बहुजन सियासत की लंबा इतिहास रहा है देश को बिहार ने कई दिग्गज नेता दिये है, उनमें बाबू जगजीवन राम, कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीराकुमार, वर्तमान समय में बहुजन नेताओं की बात हो तो रामविलास पासवान, नीतिश कुमार, जीतनराम मांझी, उदयनारायण चौधरी, तेजस्वी यादव, पप्पू यादव, के बाद बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी दिग्गज नेताओं के हाथ में बहुजन सियासत की कमान है। इसलिये यहां बहुजन सियासत की मजबूत जमीन है।
– सियासी गठबंधन
बिहार में गठबंधनों का सिलसिला भी लंबे समय से चला आ रहा है। वर्तमान में भाजपा और जदयू गठबंधन सत्ता में है। आरजेडी गठबंधन मुख्य विपक्ष की भूमिका में है। अभी तक इस गठबंधन में कांग्रेस पार्टी भी शामिल है। इस बार बिहार में कुछ और गठबंधन विधान सभा चुनाव में सामने आ सकते है, जिनकी संभावना बनी हुई इसमें पप्पू यादव के नेतृत्व वाली जन अिधकार पार्टी एवं आजाद समाज पार्टी के नेता मंच साझा कर चुके हैं, तो वहीं बहुजन समाज पार्टी और आरएलएसपी के नेता भी एक मंच पर नजर आ चुके है। अब बहुजन समाज की रामविलास पासवान, जीतनराम मांझी की पार्टियां मौजूद है।
– खेल तो बहुजन वोटों का ही है
बिहार में गठबंधन कितने ही हो, बहुजन समाज की रैलियां में भीड़ हो पर बहुजन समाज की पार्टियों को बहुजन समाज का ही वोट मिल पाता है, अन्य वोट इन पार्टियों के खाते में बहुत कम आता है। हालांकि अभी बिहार के चुनाव में गठबंधनों में बहुत उतार चढ़ाव बाकी है, जब फायनल तश्वीर सामने होगी, तब सियासत और बदलेगी, लेकिन यदि बहुजन समाज का वोट विखरा तो ताकत बिखरने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। पर इस समय बहुजन सियासत नए मोड़ पर जरूर खड़ी है, मंजिल तक कैसे जाती है, अभी और इंतजार करना होगा।

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