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रेप पीड़िता के मृत्यु पूर्व बयान का मजिस्ट्रेट के समक्ष न होने पर भी महत्वपूर्ण सक्ष्य

 

दिल्ली। देश में रेप के बढते मामलों के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को रेप के मामले में नई एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कहा गया है कि यदि रेप पीड़िता के मृत्यु पूर्व बयान का मजिस्ट्रेट के समक्ष नहीं भी होता है तो भी उसका बयान काफी महत्वपूर्ण सक्ष्य होगा। नई एडवाइजरी में दुष्कर्म और यौन हमलों के मामलों में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 (1) का हवाला दिया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के पुरुषोत्तम चोपड़ा बनाम दिल्ली सरकार मामले में सात जनवरी, 2020 के एक आदेश के मुताबिक, मरने के पहले का दिया गया बयान बेहद अहम तथ्य है और यह न्यायिक जांच के लिए सभी जरूरतों को पूरा करता है। एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि पुलिस महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में तुरंत और सख्त कार्यवाही करें और सीआरपीसी की धारा 173 के तहत रेप के मामलों में दो महीनों में जांच पूरी होना चाहिए। देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध पर निगरानी रखने के लिए गृह मंत्रालय ने इनवेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंसेज (आईटीएसएसओ) ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2019 के आपराधिक आंकड़ों के अनुसार, देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2018 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,78,236 मामले दर्ज हुए थे, जो 2019 में बढ़कर 4,05,861 पहुंच गए। 2019 में दुष्कर्म के कुल 32,033 मामले दर्ज हुए हैं।

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