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कितना लायक बना कांसीराम का बहुजन

उत्तर प्रदेश। देश भर में बहुजन नायक मान्यवर कांसीराम का परिनिर्वाण दिवस पर बहुजन समाज द्वारा उन्हें अपने अपने तरीके से याद किया जा रहा है। वह अपने भाषणों में कहा करते थे बहुजन समाज को वह लायक बनाने आये हैं, अब वह तो बहुजन समाज के बीच नहीं हैं, पर यह मंथन का विषय जरूर है कि वह जिसे लायक बनाने के लिए जीवन की अंतिम सांस तक संघर्ष और जागरूक करने में जुटे रहे वह वर्तमान में कितना लायक बना है।
मान्यवर कांसीराम का 14 वां परिनिर्वाण दिवस पर बहुजन समाज द्वारा उन्हें देश भर में याद किया जा रहा है। कांसीराम को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, मुस्िलम, पिछड़ा वर्ग को एक मंच पर लाने के लिए बहुजन बनाने के लिए जाना जाता है, वह कहा करते थे कि 85 प्रतिशत बहुजन समाज फिर भी 15 प्रतिशत का राज। इस थ्योरी पर काम करते हुए उन्होने बहुजन समाज पार्टी बनाई, जो अब पूरे देश में अपनी पहचान रखती है।
– बहुजन सियासत के नायक
देश में बहुजन समाज से मंत्री कितने ही रहे हों, पर बहुजन सियासत जब चर्चा होगी तो बहुजन नायक के रूप मान्यवर कांसीराम का नाम सबसे ऊपर होगा। यह उनके संघर्ष को चंद शब्दों में बांधा जा सकता है, वह बहुजन समाज की विरासत है रहेंगे, जैसे जैसे बहुजन सियासत देश में पैर जमाएगी, वैसे वैसे ही बहुजन नायक कांसीराम के अनुयायी भी बढ़ेंगे। बहुजन समाज के उत्थान के लिए उनके योगदान को कम से कम बहुजन की आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें भुलाना मुश्िकल होगा।
– कारवां कहीं बिखरा तो नहीं
बहुजन सियासत कांसीराम के दिवंगत होने के बाद बहुजन सियासत में उतना निखार नहीं आया, जितना आना चाहिए था, बहुजन समाज में जागरूकता बढ़ी, तो बहुजन नेता बहुजन सियासत को छोड़कर बस सियासत की ओर ही बढ़े। इसका नतीजा यही है कांसीराम का बहुजन समाज उनके जाने के बाद जागरूक हुआ, शिक्षित हुआ , मगर संगठित नहीं रह पाया। जबकि वह एक बहुत ही कुशल संगठक थे, वह बहुजन समाज को संगठित करने में उस समय जितना सफल रहे। उनके इस योगदान के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा।

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