फेसबुक पर किस अंदाज में हो रहा है छिछोरापन..पढ़े
शहर, कस्बों और गांव की सडकों से उठ कर सीधे फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर किस अंदाज में छिछोरों की जमात पहुंच गई है। उनके इशारे और अंदाजे -ए -छिछोरापन को उजागर करती श्रुति कुशवाहा की कलम..पढ़े..
ये सोशल मीडिया बड़ी कमाल की शै है…
मने पहले लड़कियों को ज़ियादा दिक्कत थी सड़कों पे सीटी बजाकर, अल्ताफ़ रज़ा के गाने गाकर छेड़ने वाले शोहदो से…लेकिन सोशल मीडिया, उसपे भी खासकर फेसबुक ने उन सड़क पे खड़े छिछोरों को बाकायदा एक सम्मानजनक प्लेटफॉर्म दे दिया है। साथ ही बाक़ियों को भी समान अवसर का अधिकार मुहैया कराया है, जो बेचारे किसी कारण सड़क पर अपना शक्ति प्रदर्शन नहीं कर पाते थे… तो अब यहाँ मैसेंजर नाम का खुल्ला मैदान है खेलने के लिये। पेशे खिदमत है कुछ नायाब तरीक़े जो आपको भी शाह-ए-मैसेंजर बना सकते हैं —
*** भले आप और सामने वाली दिनभर से ऑनलाइन हों, लेकिन आप उन्हें रात 11 बजे के बाद ही ping कीजिये। आख़िर रात में वो आपके लिये ही तो ऑनलाइन है…
*** रात में कोई 1-2 बजे ऑनलाइन दिख जाए तो पूछिये ज़रूर ‘still online, everything okey?”..आख़िर इस समाज/देश के प्रति आपका भी तो कुछ कर्त्तव्य है
*** रोज़ सुबह घटिया शेर के साथ गुडमार्निंग और रात को गुडनाइट बोलने का सिलसिला कभी न तोड़ें
*** बीच-बीच में फूल पत्तियां दिल विल भेजते रहे
*** चाहे सामने वाली के किसी स्टेटस पर नज़र न जाए, लेकिन जैसे ही वो फोटो लगाए, कमेंट के साथ इनबॉक्स में भी घनघोर तारीफ की बारिश करना न भूलें
*** बेहद ज़रूरी- लड़की की फोटो से अंदाज़ा लगाते रहें कि वो सिंगल रेडी तो मिंगल है..पति है ज़रूर, लेकिन उनकी पटती नहीं शायद, हो सकता है पति ने छोड़ दिया हो और वो बेचारी आपके आसरे के लिये तरस रही है, इनकी कविता-कहानी की तारीफ़ कर घुसपैठ करना आसान होगा या फिर ये बड़ी घमंडी लगती है, सीधे-सीधे कमियां गिनाकर औकात बता दी जाए इनकी
*** जैसे ही अंदाज़ा लग जाए स्टेटस का, मैसेंजर में सवालों की झड़ी लगा दें..क्या करती हैं, क्या हॉबी है, कब सोती हैं, क्यूं सोती हैं, मेरे साथ….दोस्ती करेंगी ?
*** इनकार, झिड़की, गाली वग़ैरह से तब तक हार न मानें, जब तक ब्लॉक न हो जाएं
*** ब्लॉक हो जाने पर घबराएं नहीं, फेक आईडी का विकल्प तो हमेशा खुला ही है
*** बीच-बीच में फोन नंबर मांगना, मैसेंजर वीडियो कॉल करना जारी रक्खें..जाने कब किस्मत मेहरबान हो जाए
*** हमेशा याद रखें.. फेमिनिज़्म की वकालत करने वाली, बोल्ड लिखने वाली, खुलकर बोलने वाली अपने माथे पर available का टैग लगाकर ही चल रही है, उसे टारगेट करना कभी न छोड़ें
*** “हार नहीं मानूंगा मैं” के सिद्धांत पे डटे रहें
लड़कियों.. अब सोशल मीडिया पर आयी हो तो भुगतो.. किसने कहा था तुम्हें अच्छे खासे घर की चारदीवारी लांघ यूँ फेसबुक पर क्रांति मचाने की। खुद ही invite करोगी और खुद ही शिकायत करोगी, आख़िर खुद को समझती क्या हो..हाँ नई तो…
( विशेष : व्हाट्सएप्प की कहानी अभी बाक़ी है दोस्तों )