इधर उमा आन मिली उधर कन्हैया आएगा
_भोपाल लोकसभा सीट पर हर दांव पेंच का उपयोग
(गायत्री मावई)
मप्र । भोपाल लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। बीजेपी जहां अपना 35 साल का कब्जा बरकरार रखने की हर कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस अभेद किले को भेदने के लिए कई तरह की रणनीति पर काम कर रही है। दोनों ही दल अपने अपने एजेंडे और प्रचार के तारीकों से 19 लाख मतदाता को रिझाने में लगे है। इसी क्रम में सोमवार को मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भोपाल स्थित बंगले पर बीजेपी उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर पहुंची। दोनों मिली, भावुक हुईं और वो सब किया जो चुनाव के लिए जरूरी है। दूसरी तरफ कांग्रेस के उम्मीदवार ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने साफ साफ बोल दिया है कि कन्हैया तो आएगा।
प्रदेश की भोपाल सीट पर कभी अस तरह का मुकबला देखने को नहीं मिला,जैसा की 2019 में हो रहा है। इस मुकबले में वो सबकुछ देखने,समझने को है जो राजनीति की चरम सीमा तक होता है। बीजेपी ने सोच समझकर प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाया,कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हो मैदान में उतार दिया। पहले पहले लगा कि बीजेपी को यह सीट फिर से तोहफे में कांग्रेस ने दे दी,लेकिन जैसे जैसे कांग्रेस और दिग्विजय सिंह क्षेत्र में सक्रीय हुए यह मुगालते दूर होना शुरू हो गए कि इस बार पहलवान तडका है और मुकबला तरफा नहीं होगा। दिग्विजय सिंह,उनके पुत्र जयवर्धन सिंह और उनकी पत्नि अमृता सिंह ने मतदाताओं तक पहुंचने की योजना ऐसी बनाई कि बीजेपी का प्रचार तंत्र पीछे रह गया। अचानक से प्रज्ञा ठाकुर ने हिन्दु कार्ड खेला तो बीजेपी के पक्ष में महौल दिखाई देने लगा फिर बीजेपी की अंदर की टूटन ने प्रज्ञा के लिए पेरशनी खडी कर दी। सबको उमा दीदी की याद सतने लगी, भाषण में भी प्रज्ञा ने उमा भारती का जिक्र किया। इसी बीच उमा भारती ने बयान दिया कि प्रज्ञा ठाकुर तो बहुत महान संत है उनकी तुलना उनसे नहीं करना चाहिए वो तो मूर्ख प्राणी है। इस बयान ने साफ कर दिया कि भोपाल सीट पर बीजेपी में क्या चल रहा है। जब यह बयान और इसके मयाने मीडिया की सुर्खिया बन गए तो सोमवार 29 अप्रैल 2019 को भोपाल अपने निवास पर आई उमा भारती से प्रज्ञा ठाकुर से मिलन का इतजाम करवाया गया।
ऐसा भी क्या मिलना…
उमा भारती और प्रज्ञा ठाकुर के मिलन से ठीक एक दिन पहले उमा भारती ने जिस अंदाज और भाव से प्रज्ञा को महान संत बताया था वो अलग थे और दूसरे दिन सोमवार को भोपाल में दोनों का मिलना हुआ तो अंदाज और भाव बदले हुए थे,इसी का नाम राजनीति है। कब, कौन, कहां कौन सा चेहरा लगाए हुए है पता नहीं चलेगा। खैर अब प्रज्ञा ठाकुर समर्थक उमा भारती से मिलन में तो सफल हो गए,पर तस्वीरों और चलचित्रों के माध्यम से मतदाता को भी यह बताने में कितना सफल होंगे कि उमा भारती का स्थान अब प्रज्ञा ठाकुर का हैं। यह 23 मई को पता चलेगा।
इतनी साफगोई कहीं भारी न पड जाए..
कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह अपनी साफगोई के लिए जाने जाते है,वे कभी पाला बदलने में यकीन नहीं रखते हैं,यही वजह से कि उनसे पूछा गया कि क्या कन्हैया कुमार उनके लिए भोपाल में प्राचार करने आएगा तो उन्होंने साफ कहा कि वो कन्हैया कुमार के समर्थक है और कन्हौया तो भोपाल आकर उनके लिउ सभाएं भी लेगा। इतनी साफगोई की भारत की जनता को आदत नहीं है, सालो से चुनाव में वायदे,बातें सुनतें आ रही यह जनता अब सच को भी झुठ समझने लगी है। उसे झूठ सच लगने लगा है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह अगर कन्हैया कुमार को न बुलाते तो क्या पक्की तौर पर चुनाव जीत रहे है कोई बता सकता है,और कोई ये बता सकता है कि कन्हैया कुमार के आने से ही दिग्विजय सिंह चुनाव हारेंगे। फिर भी राजनीति को तल तक समझने वाले बोल रहे है कि दिग्विजय सिंह बहुत लंबी सोचते है और नफा नुकसान की परवाह नहीं करतें।
45 हजार युवा वोटर भोपाल सीट पर…
दिग्विजय सिंह ने भोपाल में सभाएं करने के लिए सीपीआई नेता कन्हैया कुमार को यूं ही नहीं बुलाया है, भोपाल सीट के 19 लाख मतदाता में लगभग 45 हजार मतदाता युवा है। यह युवा कॉलेज जाता है,डिबेट देखता है और कन्हैया कुमार को भी जनता है। इन युवाओं पर कन्हैया कुमार की बातों को कितना असर होगा यह भी 23 मई को ही पता चलेगा,पर इतना जरूर है कि दिग्विजय सिंह ने सोच समझ कर ही कन्हैया को भोपाल बुलाया है।