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डीएपी खाद में अब आधा पैसा किसान का आधा सरकार का

— अब डीएपी खाद पर शुरू हो गई सियासत
—किसानों की आय कैसे होगी दुगनी
—डीएपी खाद की कीमतों में क्यों हुई बढोत्तरी
—2400 रुपये की डीएपी की बोरी अब आएगी 1200 रुपये में

जोरावर सिंह

किसानों की आय को दुगनी करने के लिए सरकारे समय समय पर वादे करती रहती है, लेकिन खेती पर बढती लागत किसानों को तेल निकाल रही है, खेती के लिए आवश्यक खाद डीएपी के दामों में हुई बढोत्तरी के बाद सियासत गरमा गई है। हालांकि स्थितियों को भांपते हुए सरकार ने सब्सिडी बढाकर मामले में डेमेज कन्ट्रोल करने का प्रयास किया है। मगर डीएपी की कीमतों में हुई बढोत्तरी के बाद बडा सवाल यह है कि आखिर डीएपी की कीमतों की बढोत्तरी ऐसे समय में क्यों की गई है। डीएपी खरीदने में आधे पैसे सरकार तो आधे पैसों का भुगतान किसानों को करना होगा।


खेती के लिए उपयोगी खाद डीएपी के दाम अब 2400 रूपए हो गए है, इससे जैसे ही खाद की कीमतों की जानकारी किसान और किसान संगठनों तक पहुंची तो किसानों इसका विरोध करना शुरू किया, वर्तमान में अपनी मांगों को लेकर किसानों द्वारा अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन किया जा रहा है, इससे किसान पहले से ही नाखुश थे, ऐसे में किसानों की नाराजगी और न बढे, इसलिए केन्द्र सरकार ने सब्िसडी को बढाकर मामले को बैलेंस किया है। मगर विपक्ष खाद की कीमतों को लेकर हमलावर है तो वहीं सत्ता पक्ष सब्सिडी में की गई बढोत्तरी के फैसले को किसान हितैषी बता रही है।

— क्यों बढी खाद की कीमतें

डीएपी खाद की बोरी पर एक दम 700 रूपए की बढोत्तरी दर्ज हुई है। बीते वर्ष डीएपी की कीमत 17 सौ रुपये प्रति बोरी थी। इस पर केंद्र सरकार 500 रुपये की सब्सिडी देती थी। इस तरह किसानों को प्रति बोरी 1200 रुपये की कीमत चुकानी पड़ती थी। मगर अब डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड , अमोनिया की कीमतें 60 से 70 फीसदी तक बढ़ गई हैं। इस कारण से अब खाद की प्रति बोरी 24 सौ रूपए की कीमत पर पहुंच गई है।

—प्रति बोरी पर सब्सिडी बारह सौ रूपए

डीएपी खाद की कीमतों में हुई 140 प्रतिशत की वृद्धि की स्थिति में किसानों को राहत दी गई है। कीमतें बढ़ने के कारण यदि मूल कीमत पर डीएपी दिया जाता तो किसानों को प्रति बोरी 2400 रुपये पड़ती। केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व से ही 500 रुपये प्रति बोरी की दर से सब्सिडी दी जा रही थी। बढ़ी हुई कीमतों के कारण यह सब्सिडी बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति बोरी कर दी गई है। किसान के लिए प्रति बोरी 700 रुपये सब्सिडी बढ़ाई गई है। इसका परिणाम यह होगा की 2400 रुपये की डीएपी की बोरी अब किसान को 1200 रुपये में मिलेगी।

—किसानों के हित में फैसला

डीएपी खाद को लेकर देश भर में सियासत जोरो पर है, जहां केन्द्र सरकार द्वारा बढाए गई सब्सिडी से किसानों को फायदा होगा, भाजपा ने इसे केन्द्र का किसान हितैषी निर्णय बताया है, किसानों के हित में केन्द्र सरकार ने 700 रूपए की सब्सिडी बढाई है, जबकि 500 रूपए प्रति बोरी सब्सिडी पहले से ही दी जा रही थी, अब प्रति डीएपी की प्रति बोरी 1200 रूपए की सब्सिडी हो गई है, इस फैसले को सत्ता पर ऐतिहासिक फैसला बता रहे है। इस पर भाजपा के अनुसार करीब साढे 14 हजार करोड का अतरिक्त भार सरकार पर पडेगा।

— किसान विरोधी फैसला

तो दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह निर्णय किसान विरोधी है, क्योंकि इससे किसानों पर अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। केंद्र सरकार द्वारा डीएपी की कीमतों में 63 फीसदी की भारी बढ़ोतरी की है। केन्द्र सरकार ने देश के कृषि समुदाय को बर्बाद करने का फैसला लिया है। इसका सीधा प्रभाव देश के 62 करोड किसानों पर पडेगा। डीएपी को बनाने में प्रयुक्त होने वाले पदार्थो के कीमतों में बढोत्तरी सरकार द्वारा जानबूझकर की गई है। कुल मिलाकर इस समय कोरोना, किसान आन्दोलन के बाद डीएपी पर भी सियासत गरमाने लगी है।

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