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सरकारी अस्पतालों को संवारकर कोरोना पर लगाई जा सकती लगाम

—सरकारी अस्पतालों की अनदेखी पड रही भारी

जोरावर सिंह

मध्यप्रदेश। प्रदेश में कोरोना के दौरान हजारों लोग अभी तक अपनी जान गंवा चुके है, वहीं हजारों कोरोना पीडितों का उपचार किया जा रहा है, संसाधनों की कमी से पूरा प्रदेश जूझ रहा है, पर मौजूदा हालातों में जो संसाधन है, यदि उन्हें सुसज्जित किया जाता है, तो आगामी तीसरी लहर के दौरान कोरोना से पीडित लोगों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जा सकता है, हालांकि प्रदेश में तीसरी लहर को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तैयारियां की है। मगर सरकारी अस्पतालों की अनदेखी भारी पड रही है।

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत किसी से छुपी हुई नहीं है, प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की बात की जाए तो प्रदेश के जिलों में जिला स्तर पर स्थित अस्पतालों के अलावा तहसील मुख्यालयों पर मौजूद सिविल अस्पतालों के अलावा, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हो रहे हैं, जिनके माध्यम से ही प्रदेश के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही है, लेकिन वर्तमान में प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ जिला अस्पतालों की हालत ठीक नहीं है, यदि वर्तमान में समय की आवश्यकतानुसार संसाधनों को कुछ हद तक जुटाया जाता है, तो इस भयावह स्थिति के दौर में आमलाेगों के लिए स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाया जा सकता है।

—हमारे पास कितने संसाधन

मध्यप्रदेश के 51 जिलों में स्वास्थ्य महकमे के आंकडों की जुबानी माने तो प्रत्येक जिले में जिला अस्पताल, और सिविल अस्पताल, सामुदायिक एवं प्राथमिक अस्पतालों में जो बेडस उपलब्ध हैं, उनमें जिला अस्पतालों 14 हजार 250 बेडस हैं, वहीं 68 सिविल अस्पताल है, जिनमें 4829 बेडस उपलब्ध हैं, वहीं 335 सामुदायिक अस्पताल है, जिनमें 10020 बेडस की सुविधा है, इसके साथ ही प्रदेश के कुछ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी बेडस की सुविधा उपलब्ध है। इससे प्रदेश में कुल 30 हजार बिस्तरों की सुविधा तो सरकारी अस्पतालों में है। इसके साथ ही निजी अस्पतालों के संसाधन अलग है। स्वास्थ्य महकमे के आंकडों के मुतािबक प्रत्येक जिले में करीब पौने 6 सौ बेडस तो केवल सरकारी अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं।

— तो बढेगी और सुविधाएं

प्रदेश में सरकार द्वारा कदम उठाये जा रहे है, प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने प्रदेश के 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज एवं उनके कोविड अस्पतालों के चिकित्सकों एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के साथ मंथन एवं विमर्श कर कोरोना की तीसरी लहर की रोकथाम एवं उपचार के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 360 बिस्तर के बच्चों के आईसीयू की व्यवस्था की जा रही है। इसी कड़ी में भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 50 बिस्तर का बच्चों का आईसीयू तैयार किया जाएगा। प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 1000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्थापित किए जाएंगे। 850 ऑक्सीजन बेड को सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई से पृथक करते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के माध्यम से संचालित किया जाएगा। प्रथम चरण में 1267 बेड की होगी वृद्धि जिसमें 767 होंगे आईसीयू बेड होंगे।

— निबटा जा सकता है महामारी से

प्रदेश के जिला अस्पतालों में तो थोडे बहुत संसाधन है, बेड तो मौजूद है, लेकिन डाक्टरों की कमी है, दूसरी तरफ तहसील मुख्यालयों पर सिविल अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जो बेडस उपलब्ध है, यदि यहां पर आक्सीजन और अन्य सुविधाओं को कोरोना का तीसरी लहर के पूर्व जुटाए जाते हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों के कोरोना पीडित मरीजों को ग्रामों के नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही उचित उपचार मिल सकेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के कोरोना पीडित मरीजों और उनके परिजनों को जिला स्तर के अस्पतालों में उपचार के लिए नही आना पडेगा, केवल गंभीर मरीज ही जिला स्तर तक उपचार के लिए आएंगे। दूसरी ओर कोविड सेंटरों में जुटाए गए संसाधनों एवं सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध मौजूदा संसाधनों काे यदि दुरस्त किया जाता है, तो इस महामारी के दौर में पीडितों काे सुविधाएं मुहैया कराई जा सकती है।

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