तालिबान ने दी सरेआम मौत की सजा:एसॉल्ट राइफल से चलाई गोलियां, स्टेडियम में देखने के लिए जुटे मंत्री और मिलिट्री के अफसर
अफगानिस्तान के फाराह प्रोविंस में बुधवार को हत्या के आरोपी व्यक्ति को सरेआम मौत की सजा दे दी गई। तालिबान के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि हत्या के गुनहगार को स्पोर्टस स्टेडियम में हजारों लोगों की भीड़ के सामने मारा गया है। तालिबान के दोबारा अफगानिस्तान की सत्ता में आने के बाद सरेआम मौत की सजा देने का यह पहला मामला है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक हत्या के आरोपी व्यक्ति पर लोगों से खचाखच भरे स्टेडियम में मृतक व्यक्ति के पिता ने तीन बार एसॉल्ट राइफल से गोली चलाई और उसे मार दिया। सरेआम पब्लिक में दी गई इस सजा को देखने के लिए तालिबान के कई नेता मौजूद रहे। तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्ला मुजाहिद ने बताया कि मौत की सजा को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज, मिलिट्री के अफसर और कई सीनियर मंत्री भी आए थे।
पांच साल पहले किया था गुनाह
जिस घटना को लेकर हेरात प्रोविंस के व्यक्ति को तालिबान ने मौत की सजा दी वह पांच साल पहले हुई थी। इसमें तजमीर नाम के एक व्यक्ति ने फाराह प्रोविंस के एक व्यक्ति की हत्या कर उसकी मोटरसाइकिल और उसका फोन चुरा लिया था। मृतक के परिवार वालों ने आरोपी के खिलाफ शिकायत की, जिसके बाद तालिबान ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
पिछले महीने तालिबान के सुप्रीम लीडर ने किया था मौत की सजा देने का ऐलान
तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबातुल्लाह अखुंदजादा ने पिछले महीने एक घोषणा की थी। जिसमें सभी जजों को आदेश दिया था कि गुनहगारों को सरेआम सजा मिलनी चाहिए। हालांकि अभी तक तालिबान ने ऑफिशियली यह नहींं बताया है कि किसी जुर्म में क्या सजा दी जाएगी।
अफगानिस्तान के फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताते हुए पीटा गया
सरेआम सजा का चलन वापिस लौटा
तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जे के बाद से सरेआम सजा देने का चलन वापस लौटा है। 24 नवंबर को तालिबान ने फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताकर पीटा था। इन 12 लोगों में 3 महिलाएं भी शामिल थी। तालिबानी अधिकारी के मुताबिक इन लोगों पर चोरी, एडल्टरी और गे सेक्स के आरोप लगे थे। नवंबर के महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ था जब तालिबान ने किसी अपराध के चलते लोगों को सार्वजनिक जगह पर सजा दी हो।
पिछले महीने 19 लोगों को मिली थी ऐसी सजा
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में अफगानिस्तान के तखार प्रोविंस से भी ऐसा मामला सामने आया था जिसमें 19 लोगों को सरेआम सजा दी गई थी। नुरिस्तान प्रोविंस में एक महिला को म्यूजिक सुनने के आरोप में पीटा गया था। ये सारी सजाएं शरिया कानून के मुताबिक दी जा रही हैं।
जानिए, क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून
तालिबान ने अफगानिस्तान को ओवरटेक करने के बाद की प्रेस कांफ्रेंस में इशारा कर दिया था कि देश के काफी सारे मसलों पर शरिया कानून लागू होगा। दरअसल शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है। जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं। शऱिया का जिक्र इस्लाम की पवित्र किताब कुरान के साथ-साथ पैगंबर मुहम्मद के उपदेशों सुन्ना और हदीस में भी है। इन कानूनों के तहत आने वाले गुनाहों को सीधे भगवान की खिलाफत करना समझा जाता है। शरिया कानून में जिंदगी जीने का रास्ता बताया गया है।
थोड़ा सा चेहरा दिख रहा था, तालिबान ने बाल्ख इलाके में यूनिवर्सिटी जाने देने से मना कर दिया।
शरिया के उल्लंघन पर मिलती है कड़ी सजा
सभी मुसलमानों से उम्मीद की जाती है कि वो इन्हीं कानूनों के हिसाब से अपनी जिंदगी जिएंगे। एक मुसलमान के दैनिक जीवन के हर पहलू, यानी उसे कब क्या करना है और क्या नहीं करना है का रास्ता शरिया कानून है। शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी करना यहां शरिया कानून के तहत सबसे बड़े अपराधों में से एक है। जब कोई शख्स इस कानून को तोड़ता है तो उसे ईश्वर के खिलाफ किया गया अपराध माना जाता है। यही वजह है कि यहां इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं।