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18 साल का बेटा अब तक नहीं है देश की टीम में, पिता ने आज ही के दिन 17 साल में ही लगा दिया था शतक

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के लिए आज बेहद ही खास दिन है. सचिन ने आज के ही दिन 17 साल की उम्र में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक जमाया था. गौर करने वाली बात है कि उनके बेटे अर्जुन अभी 18 साल के हैं और वह भारतीय अंडर-19 टीम में अपनी जगह बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. लेकिन इस उम्र तक आते-आते सचिन तेंदुलकर खासे परिवपक्व हो गए थे. उन्होंने आज के ही दिन साल 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट की चौथी पारी में शानदार शतक लगाया था और इस टेस्ट को ड्रॉ करवाने में अहम भूमिका निभाई थी.

दोनों पारियों में दिखा था सचिन का जलवा:
साल 1990 में भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज का दूसरा मैच मैनचेस्टर में खेला गया. 9 अगस्त से शुरू हुए इस मैच की पहली पारी में इंग्लैंड ने 519 रन बनाए थे. माइक एथर्टन ने सबसे ज्यादा 131, ग्राहम गूच ने 116 और रॉबिन स्मिथ ने 121 रनों की पारी खेली थी. पहली पारी में भारतीय गेंदबाज नरेंद्र हीरवानी ने सबसे ज्यादा 4 विकेट झटके थे वहीं अनिल कुंबले ने 3 विकेट लिए थे.

जवाब में बैटिंग करने उतरी टीम इंडिया पहली पारी में 432 रन बनाकर ऑलआउट हो गई. भारत की तरफ से कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 179, संजय मांजरेकर ने 93 और सचिन तेंदुलकर ने 68 रनों की पारी खेली थी. इनके अलावा कोई अन्य बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर सका. इंग्लैंड की ओर से एंगस फ्रेसर ने सबसे ज्यादा 5 विकेट झटके थे. इस तरह से इंग्लैंड ने पहली पारी के आधार पर 89 रनों की बढ़त ले ली थी. दूसरी पारी में बैटिंग करने उतरी इंग्लैंड ने 320-4 के स्कोर के साथ अपनी पारी घोषित कर दी और टीम इंडिया को चौथी पारी में 408 रन बनाने का लक्ष्य मिला.

14 अगस्त 1990, सचिन का पहला शतक:
मैच के पांचवें दिन टीम इंडिया ने 35 रनों पर अपने 2 विकेट गंवा दिए. ऐसे में संजय मांजरेकर ने पारी संभालने की कोशिश की लेकिन टीम का स्कोर 100 के पार जाने के साथ ही मांजरेकर (50) आउट हो गए. मांजरेकर के आउट होते ही विकेटों का पतझड़ लग गया और टीम इंडिया के 127 रनों पर 5 विकेट गिर गए. अब लगा कि टेस्ट टीम इंडिया के हाथ से फिसल जाएगा.

ऐसे समय में नंबर 6 पर बैटिंग करने आए सचिन तेंदुलकर ने गजब की बल्लेबाजी की और छठवें विकेट के लिए कपिल देव के साथ अर्धशतकीय साझेदारी निभाई लेकिन तभी कपिल देव भी आउट हो गए. ऐसे में लगा कि कहीं फिर से विकेटों के गिरने का सिलसिला न शुरू हो जाए लेकिन तभी सचिन ने मनोज प्रभाकर के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए नाबाद 216 रनों की साझेदारी निभाई और अपना पहला टेस्ट शतक लगाया. सचिन इस मैच में आखिरी तक 119 रन बनाकर नाबाद रहे थे. वहीं मनोज प्रभाकर ने भी नाबाद 67 रन बनाते हुए टेस्ट को ड्रॉ करवाने में अहम भूमिका निभाई थी.

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