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एयरलाइन कंपनियों का इंकार, हवाई टिकट रद्द करने पर पूरे रिफंड की योजना अटकी

हवाईयात्रियों की टिकट रिफंड और उड़ानों में देरी से जुड़ी शिकायतें दूर करने के लिए प्रस्तावित पैसेंजर चार्टर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। दरअसल, एयरलाइनों ने हवाईयात्रियों को बुकिंग के 24 घंटे के भीतर या यात्रा की तारीख के चार दिन पहले तक टिकट रद्द करने पर पूरा रिफंड देने जैसे प्रस्ताव को मानने से साफ इनकार कर दिया है।

चार्टर में टिकट में बिना किसी शुल्क के नाम में बदलाव की सुविधा भी थी, लेकिन एयरलाइनों ने इस पर भी आपत्ति जता दी है। नागरिक विमानन मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, एयरलाइनों की खराब वित्तीय हालत और उनकी आपत्तियों को देखते हुए फिलहाल यात्रियों को यह सौगात मिलना मुश्किल है। चार्टर में कहा गया है कि अगर एयरलाइन की वजह से चार घंटे से ज्यादा उड़ान में देरी होती है तो यात्री पूरे रिफंड का हकदार है। वहीं देरी के कारण कनेक्टिंग फ्लाइट छूटने पर पांच से 20 हजार रुपये रिफंड प्रस्तावित है।

नागर विमानन मंत्रालय ने 21 मई को सार्वजनिक चर्चा के लिए चार्टर जारी किया था और एयरलाइनों, यात्री संगठनों, हवाई अड्डा संचालकों और यात्रियों से भी एक माह के भीतर सुझाव मांगे थे। इसके बाद मंत्रालय संबंधित पक्षों के साथ दो बार बैठकें कर चुका है, लेकिन इसे लागू करने का कोई निर्णय नहीं हो पाया है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अभी कंपनियां भारी घाटे से गुजर रही हैं और उड्डयन क्षेत्र में स्थिरता आने के बाद चार्टर को लागू किया जा सकता है।

उड़ानों में देरी पर मुआवजे पर भी राजी नहीं
विमानन कंपनियां उड़ानों में देरी या फ्लाइट रद्द होने पर मुआवजा देने पर भी सहमत नहीं दिख रही हैं। उनका कहना है कि मुआवजे की रकम काफी ज्यादा है। चार्टर में उड़ान रद्द होने पर 20 हजार रुपये तक के मुआवजे का प्रस्ताव है। कंपनियों का कहना है कि भारत में हवाई किराया काफी कम है, ऐसे में भारी मुआवजा नहीं दिया जा सकता। वहीं मुफ्त में टिकट रद्द करने की सुविधा से कंपनियों ने कारोबार पर बुरा असर पड़ने की आशंका जताई है।

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एयर पैसेंजर एसोसिएशन चार्टर के संस्थापक डी सुधाकरा रेड्डी ने कहा, अगर विमानन कंपनियां घाटे में हैं तो यह यात्रियों की गलती नहीं हैं। वे हवाईयात्रियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकतीं। सरकार को भी चार्टर जल्द लागू करने पर ध्यान देना चाहिए।

कंपनियों का घाटा
इंडिगो को वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 652 करोड़ का घाटा हुआ है, जबकि स्पाइसजेट ने 389 करोड़ का नुकसान झेला है। जेट एयरवेज का घाटा तो 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा है और वह टाटा के साथ साझेदारी पर विचार कर रही है। सरकारी कंपनी एयर इंडिया तो 50 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी है

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