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आयुष पाठ्यक्रम के लिये न्यूनतम स्तर नहीं गिरा सकते , अधकचरा ज्ञान ठीक नहीं – सुप्रीम कोर्ट

 

आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, आयुष कॉलेजों में नीट से प्रवेश को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खण्डपीठ ने यह निर्णय देते हुये यह भी कहा कि आयुष कोर्सेस के लिये न्यूनतम मापदण्डों को गिराया नहीं जा सकता। कोर्ट मानता है कि आयुष डॉक्टर्स मरीजों का इलाज करते हैं और मापदंडों को गिराकर अधकचरा ज्ञान वाले चिकित्सक कॉलेजों से निकलेंगे। संबंधित केंद्रीय परिषद ( सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन व सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी) के मापदंडों को कम नहीं किया जा सकता। मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज भोपाल के प्रोफेसर व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने कहा कि पिछले सत्र में नीट के माध्यम से ही आयुष मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश हुये थे और अनेक आयुष कॉलेजों में पूरी सीटों पर प्रवेश नहीं हो पाये थे। डॉ पाण्डेय ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को उचित ठहराते हुये चिकित्सा शिक्षा की ठोस गुणवत्ता को जरूरी बताया। डॉक्टरों का पूरी तरह दक्ष होना बेहतर है । फिलहाल 2020-21 सत्र में नीट के माध्यम से ही प्रदेश समेत देशभर के 532 मेडिकल, 313 डेंटल व 710 आयुष कॉलेजों में एमबीबीएस, डेंटल, आयुष प्रवेश होंगे। नीट परीक्षा 03 मई 2020 को एवं परिणाम 04 जून को जारी होंगे।

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