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BIHAR POLITICS : नए साल में बिहार लिख सकता है सियासत की नई इबारत

 

— गरमा रही है बिहार की सियायत

बिहार। बिहार की सियासत एक बार पिफर गरमा रही है,बीते दिनों भाजपा ने जेडीयू के अरूणाचल प्रदेश के छह विधायकों को अपने पाले में कर लिया था। इसके बाद से जेडीयू में नाराजगी है; वहीं आरजेडी की तरपफ से होने वाली बयानबाजी ने भी नीतिशकुमार की मुश्किलें बढा दी है। अब बिहार में महागठबंधन के पास 110 सीटे है और जेडीयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे में कयास लगाये जा रहे है कि बिहार एक बार पिफर नए साल में सियासत की नई इबारत लिख सकता है।
गौरतलब है कि अरुणाचल के घटना क्रम के बाद भाजपा और जेडीयू तनातनी है भले ही वह अभी बाहर नहीं आ रही है। पर नीतिश कुमार आरजेडी द्वारा दिये गए आफर से हलचल तेज हो गई है। वहीं कभी नीतिश कुमार की पार्टी में कददावर नेता रहे श्याम रजक जो अब आरजेडी के नेता है, उन्होंने दावा किया है जेडीयू के 17 विधायक उनके संपर्क में, इसके बाद से बिहार में सियासत और तेज हो गई है। राजद के नेता और बिहार विधानसभा के स्पीकर रह चुके उदय नारायण चौधरी ने एक दिन पहले ही बयान दिया था की नीतीश कुमार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाए और खुद प्रधानमंत्री के के उम्मीदवार बनें केंद्र की राजनीति में राजद उनका साथ देगा। अब बिहार की सियासत में क्या बदलाव होंगे,यह तो वक्त ही बताएगा।

…और कमजोर होते नीतिश

बिहार की सियासत में नीतिश कुमार लंबे अर्से से सत्ता में बने हुए है, और जेडीयू की सियासत में उनकी तूती बोलती रही है, यही वजह रही कि शरद यादव जैसे नेता को किनारा करना पडा, नीतिश कुमार पाला बदल कर भी सत्ता में बने रहे है, पर इस बार के विधान सभा चुनावों में उनकी पार्टी सिमट गई और उनकी सीटें कम हो गई, इसके बाद से ही सियासी गलियारों में माना जा रहा था कि इस बार यदि नीतिश कुमार सीएम बनते हैं तो उनकी राहें आसान नहीं होगी। पर इतनी जल्दी ऐसी स्थिति का सामना करेंगे यह तो उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। राष्टीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद को छोडना पडा है। उनके इस निर्णय पर सियासी हल्कों में खबर है कि उनकी पार्टी पर पकड अब ढीली हो रही है।

— इधर कुआ और उधर खाई

बिहार की सियासत को जानने वाले बिहार वर्तमान स्थितियों पर कह रहे हैं कि इस समय नीतिश कुमार के लिए कोई निर्णय उतना आसान भी नहीं है, इसकी वजह भी है कि वह अब पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष भी नहीं रहे है, ऐसे में सीएम का पद छोडने का फैसला लेना आसान नहीं होगा। वह एक मुश्किल में फंस चुके है, जब उन्होंने अपने बेहद करीबी माने जाने वाले जीतनराम मांझी जो कभी उनके साथ थे, उन्हें सीएम का पद सौंप दिया था, बाद में नीतिश कुमार को उन्होंने मुश्किल में डालते हुए सीएम के पद से हटने से इंकार कर दिया था। ऐसे में नीतिश कुमार के सामने एक बार पिफर एक तरपफ कुआ दूसरे तरपफ खाई वाली स्थित है।

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