मुख्य समाचार

सामाजिक समरसता एवं न्याय के पक्षधर थे बाबू जगजीवन राम – प्रो. आशा शुक्ला

— बाबू जगजीवन राम की जन्म-जयंती पर वेब व्याख्यान का आयोजन

मध्यप्रदेश। डॉ.बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्विद्यालय महू में बाबू जगजीवन राम की जन्म जयन्ती पर 05 अप्रैल को वेब व्याख्यान का आयोजन किया गया। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर के डाॅ. लक्ष्मण शिन्दे इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किये गये। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला द्वारा की गई। उक्त वेब व्याख्यान विश्वविद्यालय में स्थापित बाबू जगजीवन राम पीठ, आई.क्यू.ए.सी., निदेशालय एवं अर्थशास्त्र विभाग (प्रबंधन विज्ञान अध्ययनशाला) के अन्र्तगत संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये डाॅ. लक्ष्मण शिन्दे जी ने कहा कि बाबू जगजीवन राम आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने वो तत्कालीन समय में थे। बाबू जगजीवन राम समावेश समाज के पक्षधर थे। वे सशक्त राजनीतिज्ञ, कुशल प्रशसक एवं समाजसेवी थे। उन्होने अपनी कार्य क्षमता के आधार पर यह सम्मान पाया। वे देश की राजनीति में विभिन्न पदो पर रहे, जिसमें पहले दलित उप प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, श्रममंत्री, रेलमंत्री, इत्यादि महत्वपूर्ण भूमिका में उन्होने कार्य किये तथा आजादी उपरान्त भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। रक्षामंत्री के रूप में भारत को विश्वजगत में विषेश पहचान दिलाई। बाबा साहब डाॅ. अम्बेडकर के बाद बाबू जगजीवन राम दलितों के लिये कार्य करने के लिये जाने जाते है। बाबूजी ने आपातकाल के बाद देश को इस परिस्थिति से उबारने के लिये मुख्य भूमिका निभाई। उन्होने कभी भी ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिससे उनकी अथवा देश की छवि खराब हो। उन्होने कहा कि जाति व्यवस्था ने जितना नुकसान देश को पहुॅचाया है वह अन्य नुकसान से ज्यादा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय उद्वोधन में कहा कि बाबू जगजीवन राम आज भी हमारे बीच में वैचारिक रूप से उपस्थित हैं वे सामाजिक समरसता एवं न्याय के पक्षधर थे। हमे ऐसे महापुरूष के जीवन दर्शन पर शोध कार्य करने की जरूरत है। हमे अपने विद्यार्थीयों के वैचारिक स्तर को ऊॅचा करने के लिये कार्य करना पड़ेेगा जैसे बाबूजी की सोच थी। उन्होने कहा कि ब्राउस द्वारा बाबू जगजीवन राम पीठ के अन्तर्गत बाबू जगजीवन राम के व्यक्तित्व एवं जीवन दर्शन पर शोध कार्य एवं परियोजनाओं पर कार्य किये जायेगे। कार्यक्रम संयोजक डाॅ. पीसी बंसल द्वारा स्वागत एवं प्रस्तावना वक्तव्य देते हुये कहा कि बाबू जी को भारतीय समाज और राजनीति में दलित वर्ग के मसीहा के रूप में स्मरण किया जाता है वे देश के चुनिन्दा नेताओं में से एक थे जिन्होने राजनीति के साथ ही वंचित समाज को एक नई दिशा प्रदान की। बाबू जी का यह विश्वास था कि समतामूलक समाज की स्थापना से ही मजबूत राष्ट्र की स्थापना सम्भव है। इस व्याख्यान में डीन प्रो. डीके वर्मा, डाॅ.मनीषा सक्सेना एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय वर्मा एवं सहा. कुलसचिव संध्या मालवीय विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार काॅर्डिनेटर डाॅ. भरत भाटी द्वारा किया गया एवं लव कुमार चावड़ीकर (तकनीकि काॅर्डिनेटर) द्वारा सहयोग प्रदान किया गया।

Related Articles

Back to top button