सहारा जगत से नहीं जगतपति से मांगे: जयंती किशोरी शर्मा
– सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा
शाहगंज। कलयुग में अगर सच्चा सहारा किसी का है तो वह एक परमात्मा का है। इसलिए इस संसार के झूठे सम्बंधों से आशा को त्याग देना चाहिए। सहारा जगत से नहीं जगत पति से मांगे।उक्त उद्गार राष्टीय कथा वाचक सुश्री जयंती किशोरी शर्मा ने नगर के नई बस्ती में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस व्यक्त किये। नगर में धर्मिक आयोजन श्रीमति कृष्णा भार्गव द्वारा कराया जा रहा है। आयोजन के मुख्य यजमान श्रीमति नर्मदा ललित भार्गव व नीतू सचिन भार्गव हैं।
शुक्रवार को कथा वाचक सुश्री जयंती किशोरी शर्मा ने गजेन्द्र मोक्ष व भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई। कथा श्रवण कराते हुए सुश्री जयंती ने कहा कि त्रिकुट पर्वत के घने जंगल में बहुत-से हाथियों के साथ एक गजेन्द्र (हाथी) निवास करता था। वह सभी हाथियों का सरदार था। एक दिन वह अपने समूह के हाथियों के साथ पास के सरोवर से पानी पी कर अपनी प्यास बुझाने लगा। प्यास बुझाने के बाद वह अपने साथियों के साथ जल- स्नान कर जल- क्रीड़ा करने लगा। उसी समय एक बलवान मगरमच्छ ने उस गजराज के पैर को मुँह मे दबोच कर पानी के अंदर खीचने लगा । गजेंद्र ने अपनी पूरी शक्ति लगा कर स्वयं को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन असफल रहा । उसके झुण्ड के साथियों ने भी उसे बचाना चाहा पर वह सफल ना हो सके।
जब गजेंद्र ने अपने आप को मौत के निकट पाया और कोई उपाय शेष नहीं रह गया तब उसने प्रभु की शरण ली और आर्तनाद कर प्रभु की स्तुति करने लगा। जिसे सुनकर भगवान श्री हरि ने स्वयं आकर उसके प्राणों की रक्षा की ।
-भगवान के जन्मोत्सव पर झूमे श्रद्धालु
श्रीमद भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। कथा का रसापान कराते हुए सुश्री जयंती किशोरी शर्मा ने कहा कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, जेल के ताले टूट गये। पहरेदार सो गये।
वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए। प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी जमुना पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया । वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये। कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर भक्त जमकर झूमे। कथा व्यास ने कहा कि कंस ने वासुदेव के हाथ से कन्य रूपी शक्तिरूपा को छीनकर जमीन पर पटकना चाहा तो वह कन्या राजा कंस के हाथ से छूटकर आसमान में चली गई। शक्ति रूप में प्रकट होकर आकाशवाणी करने लगी कि कंस, तेरा वध करने वाला पैदा हो चुका है। भयभीत कंस खीजता हुआ अपने महल की ओर लौट गया। उधर नंद बाबा के यहां बधाइयों को तांता लग गया। भक्तों ने भगवान का जन्मोत्सव धूम-धाम के साथ मनाया व भजनों पर नृत्य किया