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17 को शपथ शाम चार बजे ली तो स्थिर रहेगी मप्र सरकार 

  • नहीं तो कमलनाथ को भी जूझना पड़ सकता है उमा भारती और अरविंद केजरीवाल की तरह 

( कीर्ति राणा ,इंदौर)

मप्र के 18वें और कांग्रेस के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में पहले कमलनाथ 15 दिसंबर को शपथ लेने वाले थे, अब 17 दिसंबर को करीब 20 मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे। उनका यह शपथ समारोह ऐसे दिन होगा जब मलमास लग चुका है, मलमास में शुभ कार्य प्रतिबंधित होते हैं।यदि यही शपथ समारोह 15 दिसंबर को श्रेष्ठ चौघड़िया-मुहूर्त में हो जाता तो सरकार की स्थिरता को लेकर कोई संशय नहीं रहता। मलमास में 17 दिसंबर सोमवार को भी श्रेष्ठ समय दोपहर 4 से शाम 4.30 बजे का है। इस समय के पहले यदि शपथ लेते हैं तो उनके स्वास्थ्य पर गंभीर (प्रतिकूल) प्रभाव तो पड़ेगा ही साथ ही कमलनाथ और कांग्रेस पूरे पांच साल का समय पूरा नहीं कर पाएंगे।

11 दिसंबर को नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आने के बाद तीन दिन दिल्ली में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के बीच तालमेल बैठाने को लेकर राहुल गांधी के साथ बैठकों का दौर चलता रहा। मप्र का मामला जैसे तैसे सुलझा, कमलनाथ को विधायक दल का नेता भी चुन लिया गया लेकिन पूर्व घोषित 15 दिसंबर को शपथ समारोह की तारीख इसलिए आगे बढ़ानी पड़ी कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कौन हो यह विवाद हल नहीं हो सका था। अंत में जब दोनों जगह सर्वसम्मति की स्थिति बनी तब मप्र में शपथ समारोह 17 दिसंबर को निर्धारित किया गया। इस बीच 15 दिसंबर को राज्यपाल से मुलाकात कर कमलनाथ विधायक दल द्वारा पारित प्रस्ताव की जानकारी और शपथ की तारीख आदि की जानकारी दे चुके थे।

चूंकि 16 दिसंबर रविवार की सुबह 9.7 मिनट से मलमास लग जाएगा जो 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन समाप्त होगा। ऐसे में मलमास में शपथ लेने को अशुभ माना जा रहा था। दैनिक अवंतिका ने मलमास में शुभ कार्य संपन्न करना कितना ठीक होता है इसे लेकर उज्जैन और इंदौर के पंडित-ज्योतिष से चर्चा की।

उज्जैन के वरिष्ठ ज्योतिष-पंडित आनंदशंकर व्यास (नारायण पंचाग) का कहना है कई बार चुनाव के बाद परिणाम भी मलमास में आते रहे हैं ऐसे देखें तो कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन 13 दिसंबर का दिन शपथ के लिए अति उत्तम रहता। 14-15 दिसंबर इन दो दिन में मंगल-चंद्र एक राशि में चल रहे थे, ये दोनों ग्रह जब साथ रहते हैं तो संघर्ष का कारण बनते हैं।शुक्रवार की रात इन दोनों ग्रहों की स्थिति बदल जाएगी। सोमवार 17 दिसंबर को स्थिर लग्न में उन्हें शपथ लेना चाहिए। इस लग्न का श्रेष्ठ समय है अपराह्न 4 से 4.30 बजे तक, नक्षत्र भी ठीक है इस समय में। स्थिर लग्न में शपथ लेने का मतलब है सरकार की स्थिरता और सीएम के रूप में कमलनाथ का पराक्रमी के रूप में स्थापित होना। वैसे मलमास के चलते सत्ता-राजकाज से जुड़े काम किए जा सकते हैं, ऐसे मामलों में मलमास में छूट है।

पं व्यास से जब पूछा कि यदि शपथ का समय स्थिर लग्न वाला न हो तो नुकसान क्या हो सकता है? उनका कहना था लग्न तीन प्रकार के माने गए हैं  चर, स्थिर और द्विस्वभाव । उमा भारती पूरे पांच साल इसीलिए मुख्यमंत्री नहीं रह पाईं क्योंकि उन्होंने चर लग्न में शपथ ली थी। यही नहीं दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पहला कार्यकाल भी अस्थिर और उथलपुथल वाला रहा। उन्होंने भी चर लग्न में शपथ ली थी। अच्छे ग्रह की दृष्टि हो तो सरकार जाते जाते भी बच जाती है।

 

शपथ ग्रहण दिवस को लेकर जब इंदौर के सुप्रसिद्ध ज्योतिष पंडित रामचंद्र शर्मा से बात की तो उनका कहना था आप यह देखें कि 11 को परिणामों की घोषणा, 14 को मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ के नाम की घोषणा से लेकर राज्यपाल को विधायक दल के नेता संबंधी पत्र सौंपने संबंधी राजकाज से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य तो मलमास लगने से पहले ही संपन्न कर चुके हैं।गीता में सारे मास में मार्गशीर्ष माह को इसलिए भी श्रेष्ठ माना गया है कि गीता जयंती इसी माह में आती है। राजनीतिक कार्यों में मलमास की बंदिश तो नहीं है लेकिन 17 की बजाय मंत्रिमंडल का गठन 15 को कर लेना था, इसके दूरगामा परिणाम ठीक नहीं होंगे। 17 को शपथ के लिए 3.45 से 5.30 वृषभ लग्न स्थिर है, उनकी राशि से जोड़ें तो तीसरा लग्न है और लाभ-अमृत का चौघड़िया है, वे हर संघर्ष में सफल रहने वाले पराक्रमी योद्धा के रूप में स्थापित होंगे।

उससे पहले मीन लग्न व मीन नवांश में शपथ ले सकते हैं। इसके लिए दोपहर 1.44 से 1. 53 बजे तक का समय उत्तम है। लग्न वर्गोत्तम होकर सरकार के लिए उत्तम रहेगा हालांकि सरकार को शुक्र विवादों में रखेगा। गुरु सरकार की छवि को सुधारने का कार्य करेगा, नवांश में गुरु राजयोगकारी है।इन उत्तम समय के अलावा वे 17 को अन्य किसी समय में शपथ लेते हैं तो वे सीएम के रूप में पूरे समय नहीं रह पाएंगे, कांग्रेस को भी स्थायित्व प्राप्त नहीं होगा।

 

 -लेखक वरिष्ठ पत्रकार है

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