आसाराम केस: चार साल में पहली बार ली पीड़िता बिटिया व परिवार ने चैन की सांस
चार साल की न्याय के लिए संघर्ष करने के बाद आखिर बुधवार को नयालय के फैसले ने राष्ट्र को ये विश्वास दिला दिया की दुष्कर्म की सज़ा आज भी ज़िंदा है। आसाराम को दुष्कर्म के मामले में उम्र भर कैद व अन्य अपराधियो को 20 की सज़ा सुनने के उपरांत चार साल बाद पीड़िता के परिवार ने चैन की सांस ली। करीब साढ़े चार साल की लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिलने से उनके चेहरे पर बुधवार को सुकून दिखा। आसाराम को उम्र कैद और बाकी दो आरोपियों को 20-20 साल की कैद पर पीड़िता के पिता ने संतोष जताया। आसाराम की सजा पर फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें न्याय मिला है। कोर्ट का यह फैसला समाज के लिए भी एक बड़ा संदेश है। उनको कोर्ट पर पूरा भरोसा था। हालांकि, इस दौरान न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के कई षड्यंत्र रचे गए। गवाहों की हत्या कराई गईं। बुधवार को पीड़िता का परिवार घर में ही टीवी पर कोर्ट की कार्रवाई देखता रहा।
शहर की बिटिया से दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा पाए आसाराम तो अपने किए की सजा भुगत रहे हैं लेकिन इस दौरान पीड़ित बिटिया को भी अपने घर में कैदी जैसा जीवन जीने को मजबूर होना पड़ा।
दुष्कर्म की घटना के बाद पीड़ित बिटिया की पढ़ाई छूट गई। समाज में उंगली उठने और आसाराम के समर्थकों के डर की वजह से उसे भी घर में ही कैद रहना पड़ा। न तो वह बाजार जा पाई और न ही उसका स्कूल जाना हो पाया। उसे पढ़ाई पूरी करने के लिए प्राइवेट फार्म भरना पड़ा, उसकी पढ़ाई में दिक्कत न आए, इसलिए घर पर ही टीचर को लगाया गया लेकिन टीचर को भी धमकी मिल गई और उसने भी घर आकर पढ़ाना छोड़ दिया, हालांकि इस दौरान उसने हौसला नहीं तोड़ा वह पढ़ाई में भी पूरी तरह से ध्यान लगाए रही।
ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब पीड़िता एमए कर रही है। उसका भी मन करता था कि वह अकेले बाजार में जरूरी सामान की खरीदारी कर लाए, सहेलियों से मन की बात हो लेकिन आसाराम के समर्थकों का डर था। यह डर केवल पीड़िता ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को था। इसलिए पीड़िता के पिता, भाई सभी लोग पुलिस सुरक्षा घेरे में है। अब आसाराम को उम्रकैद की सजा मिलने पर परिवार राहत महसूस कर रहा है।