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विशेष: 7 साल पुराना 7 नम्बरी का वो छक्का आज भी याद है…

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट जगत में कुछ घटनाएं ऐसी हैं जिनकी चमक शायद ही कभी प्रशंसकों के जेहन में फीकी पड़े। ऐसी ही एक घटना आज से 7 साल पहले साल 2011 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में घटी थी। भारत फाइनल मुकाबले में श्रीलंका को मात देकर 28 साल बाद दूसरी बार विश्वकप पर कब्जा किया था। टीम इंडिया ने जिस अंदाज में जीत हासिल की थी वो बेहद रोचक थी। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बल्ले से निकला विजयी छक्का आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है। ये शॉट ऐसा था जिसे क्या आम क्या खास हर कोई बार-बार देखना चाहता है। टीम इंडिया के सात नंबरी बल्लेबाज के इस विनिंग शॉट की इससे बेहतर तारीफ नहीं हो सकती जो टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने की थी। 1983 में विश्वकप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे गावस्कर ने कहा था अगर मेरी जिंदगी के 15 सेकंड बचे हों तो मैं धोनी का वर्ल्‍डकप फाइनल में जड़ा आखिरी छक्‍का देखकर खुशी-खुशी मरना चाहूंगा।

7 साल पहले घटी इस घटना ने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के उसके विश्वास को बल दिया था कि सपने सच होते हैं मैंने इस सपने के पूरे होने का 28 साल लंबा इंजतार किया। टीम इंडिया के चैंपियन बनने के बाद पूरा देश सड़क पर उतर गया था। पहली बार पूरा देश जश्न में डूबा हुआ था। लोग सड़क पर निकलकर अपने-अपने अंदाज में खुशी का इजहार कर रहे थे। पहली बार लोग ट्रैफिक जाम को लेकर नाराज नहीं थे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर बिग बी अमिताभ बच्चन भी जश्न मनाने वालों में शामिल थे।

टॉस में हुए कन्फ्यूजन के बाद फाइनल मुकाबले में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय किया था। महेला जयवर्धने के शानदार शतक की बदौलत निर्धारित 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 274 रन बनाए। जयवर्धने ने 103 और कुमार संगकारा ने 48 रन की पारी खेली। भारत की तरफ से जहीर खान और युवराज सिंह ने दो-दो और श्रीसंत ने एक विकेट हासिल किया था। ऐसे में स्टेडियम और टीवी सेट्स के सामने जुटे भारतीय प्रशंसकों को टीम इंडिया की जीत आसान नजर आ रही थी। लेकिन जब जीत के लिए 275 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी मेजबान टीम उतरी तो कुछ ही ओवरों में नजारा बदल गया। शुरुआती ओवरों में भी टीम इंडिया बैकफुट पर नजर आने लगी।

जब स्टेडियम में पसर गया सन्नाटा

टीम इंडिया को श्रीलंकाई गेंदबाज लसिथ मलिंगा ने बैकफुट पर ढकेल दिया। पारी की शुरुआत करने उतरी सचिन और सहवाग की जोड़ी सस्ते में पवेलियन लौट गई। जब सहवाग खाता खोले बगैर मलिंगा की गेंद पर एलबीडब्लू हुए तो लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई लेकिन जब अपने घरेलू मैदान पर अपना आखिरी वर्ल्डकप खेल रहे सचिन तेंदुलकर(18) के बल्ले का किनारा लेते हुए विकेटकीपर संगकारा के दस्तानों में पहुंची तो पूरे स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया। जब मायूस होकर सचिन तेंदुलकर पवेलियन वापस लौट रहे थे तब देश के हर क्रिकेट प्रेमी के जेहन में एक ही सवाल उठ रहा था क्या क्रिकेट का भगवान विश्वचैंपियन बने बगैर मैदान से विदा ले लेगा। लेकिन कप्तान धोनी ने अनहोनी को होनी करने की जिम्मेदारी संभाल ली थी। सचिन के आउट होने के बाद विराट और गंभीर ने पारी को संभाला और 100 रन के करीब पहुंचाया। विराट कोहली के आउट होने के बाद धोनी ने फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह से पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय किया।

धोनी ने किया अनहोनी को होनी

इसके बाद धोनी ने गौतम गंभीर के साथ चौथे विकेट के लिए शानदार साझेदारी करते हुए टीम इंडिया को जीत के करीब पहुंचा दिया। इन दोनों बल्लेबाजों की पारी देखकर स्टेडियम में पसरा सन्नाटा दूर हो गया और एक बार फिर विश्व विजय की आस लोगों के शोर के रूप में सुनाई देने लगी। शतक की ओर बढ़ रहे गंभीर 97 रन बनाकर बोल्ड हो गए और धोनी का साथ देन युवराज सिंह उतरे। इसके बाद पांचवें विकेट के लिए दोनों बल्लेबाजों ने श्रीलंकाई गेंदबाजों की बखिया उधेड़ते हुए इतिहास रच दिया। भारत ने धोनी की दमदार 91 रन का पारी की बदौलत 10 गेंद और छह विकेट से जीत दर्ज कर विश्व कप में अपना परचम लहरा दिया था।

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