राजनीतिक

संघ की दो टूक, जाति आधारित जनगणना लोगों के हित में…….इसका राजनैतिक इस्तेमाल नहीं हो

पलक्कड़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा कि जाति आधारित जनगणना लोगों के कल्याण के लिए सही है, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनैतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार को सिर्फ डेटा के लिए जातिगत जनगणना करनी चाहिए।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, हमारे हिंदू समाज में जाति बहुत संवेदनशील मुद्दा है। जनगणना हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए जरुरी है।मामले को बहुत गंभीरता के साथ किया जाना चाहिए। किसी जाति या समुदाय की भलाई के लिए भी सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है। ऐसा पहले भी हो चुका है। लेकिन जातिगत जनगणना सिर्फ समाज की भलाई के लिए उपयोग होना चाहिए। राजनैतिक दल इसे चुनावों का पॉलिटिकल टूल न बनाएं।
केरल के पलक्कड़ में 31 अगस्त से चल रही तीन दिन की समन्वय बैठक के आखिरी दिन आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख आंबेकर ने कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर, यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) और बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर भी बात की। संघ की बैठक में इन मुद्दों पर की गई चर्चा हुई।
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर
आंबेकर ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) मॉडल पहले से ही जनता के बीच है। उत्तराखंड में यूसीसी को अपनाने से पहले धामी सरकार ने इस पब्लिक डोमेन में रखा था। इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें 2 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए और उन्होंने इस पर चर्चा की। मुझे लगता है कि अब यह पब्लिक डोमेन में है। जनता को इसका अनुभव है, फिर हम इस पर चर्चा कर सकते हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर आंबेकर ने बताया कि बैठक के दौरान कई संगठनों ने बांग्लादेश के हालात पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की है। बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के बारे में हर कोई चिंतित है। संघ ने मोदी सरकार से हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत करने का अनुरोध किया है।
वक्फ बोर्ड से जुड़े संशोधन के मसले पर चर्चा को लेकर आंबेकर ने कहा कि इस मसले पर चर्चा हुई है। यह मुद्दा बहुत बड़ा है। इस पर व्यापक स्तर पर चर्चा की जानी है। वक्फ को लेकर मुस्लिम समाज की ओर से बड़ी संख्या में लोगों की शिकायतें आई हैं। इसकारण इसपर में बड़े स्तर पर चर्चा की जा रही है।

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