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जैन धर्म खुद के लिये नहीं विश्व कल्याण की बात करता है- सनत जैन

  -क्षमावाणी पर्व सम्पन्न, तपस्वियों का सम्मान हुआ
सीहोर । क्षमा की ताकत को जैन धर्म ने सबसे अधिक गहराई से समझा और उसी आधार पर जियो और जीने दो का सिद्धांत भी बनाया है। क्षमा और अहिंसा यह दो सिद्धांत जैन धर्म से सारी दुनिया को सीखने की आज सबसे ज्यादा जरुरत है। उक्त बात आज श्री जैन श्वेताम्बर समाज के क्षमापना पर्व के अवसर पर प्रसिद्ध साहित्यकार पंकज पुरोहित सुबीर ने विशेष अतिथि के रूप में कही। उन्होने बताया कि दुनिया इस समय जिस हिंसा के ज्वालामुखी पर बैठी हुई है उस समय जैन धर्म का अहिंसा का सिद्धांत सारी दुनिया को सिखाया जाना सबसे ज्यादा आवश्यक है। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि  सनत जैन भोपाल ईएमएस अकादमी संस्थापक व विशेष अतिथि राकेश सिंघई वरिष्ठ पत्रकार भोपाल भी उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत दिलीप शाह, राजेंद्र गांधी, राय चंद्र जैन, सुधाकर शाह, लक्ष्मी नारायण साहू, दिनेश जैन,  कपिल बनावट, रूपेश लालका, रूपेश गोलेछा, पत्रकार विमल जैन, गौतम शाह आदि ने किया।   इस अवसर पर  सनत जैन ने कहा कि जैन धर्म में क्षमावाणी पर्व के द्वारा आत्मशुद्धी की बात कही गई है। श्री जैन ने कहा कि दुनिया के सारे धर्मों के मूल सिद्धांतों में इंसानियत और भाईचारे का पाठ पढ़ाया जाता है। लेकिन दुनिया के दूसरे धर्म और जैन धर्म के बीच एक बड़ा फर्क यह है कि जैन धर्म अपने लिये कोई कामना नहीं करता। यहॉ विश्व के कल्याण आरैर उसके सुख की बात कही जाती है। कार्यक्रम में अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शांतिनाथ जैन मंदिर से निकली शोभायात्रा मण्डी क्षेत्र के प्रमुख मार्गों से निकली। जिसका विभिन्न जगह स्वागत हुआ। शोभायात्रा में समाज के महिला-पुरुष बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
पर्यूषण पर्व के दौरान तपस्या करने वालों का सम्मान एवं विभिन्न धार्मिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने वालों को पुरुस्कार वितरण किया गया। सर्वप्रथम कल्पसूत्र वाचन के लिये मुम्बई आर्यरक्षित तत्पज्ञान विद्यापीठ से पधारी भागवंती बहन एवं उषा बहन का शाल-श्रीफल, स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया। आठ दिनो तक अखण्ड उपवास (अट्ठई) करने वाली श्रीमति ज्योति जैन व श्रीमति वंदना श्रीश्रीमाल का भी समाज ने स्मृति चिन्ह से सम्मान किया। इस वर्ष तीन दिन का उपवास (तेला) श्रीमति उर्मिला जी बनवट व श्रीमति प्रेरणा लालका ने, जयंत शाह ने दो दिन का उपवास (बेला) किया। पर्व के दौरान भगवान की सुन्दर अंगरचना के लिये श्रीमति राजुल शाह व प्रतीक शाह, हार्दि गोलेछा, तनिष्का लालका का सम्मान किया गया। कस्बा स्थित चिंतामणी पाश्र्वनाथ मंदिर के लिये मेघा बनवट, सोनाली श्रीश्रीमाल, बरखा श्रीश्रीमाल, श्रुति भावसार को सम्मानित किया गया। आरती थाली सजाओ में प्रथम तनिष्का लालका, द्वितीय हार्दिक गोलेछा, तृतीय मेघा बनवट, सांत्वना आदि लालका, अनुज ठाकुर व प्रेरणा लालका को पुरुस्कृत किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन जयंत शाह ने किया।

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