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गोपाष्टमी पर्व पर गौ-शालाओं में हुए आयोजन

 

भोपाल। प्रदेश में गोपाष्टमी पर्व परंपरागत तरीके से मनाया गया। इस अवसर पर गोशालाओं में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। गोशालाओं में आयोजित कार्यक्रम में गाय का श्रंगार कर पूजा—अर्चना की गई। विभिन्न गोशालाओं में सुबह से ही गौमाता की पूजा करने के लिए गौ भक्तों का पहुंचना शुय हो गया था जो दिनभर जारी रहा। प्रदेश के सीहोर जिला स्थित मूलचंद मिरचूलाल किसान गो—शाला में गोपाष्टमी पर्व पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में गाय की पूजा—अर्चना कर गाया के लिए चारा व पानी की व्यवस्था की गई। इस अवसर पर गोशाला समिति अध्यक्ष प्रेमलता शर्मा ने गोपाष्टमी पर्व का महत्व बतलाते हुए कहा कि इसी तिथि पर माता यशोदा ने भगवान कृष्ण को पहली बार गायों को चराने के लिए जंगल भेजा था। यशोदा माता गायों को चराने के लिए भगवान को नहीं भेजना चाहतीं थीं, लेकिन कृष्ण जिद करने लगे। तभी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व मनाए जाने लगा। इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

  ऐसे मनाएं गोपाष्टमी पर्व

– शुभ मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहला धुलाकर श्रृंगार करें ।

– गाय को सजाने के बाद उसकी पूजा और परिक्रमा करें।

– गोपाष्टमी पर गाय को हरा चारा एवं गुड़ खिलाएं।

– ऐसी मान्यता है जो व्यक्ति गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलता उसको बड़ा पुण्य मिलता है।

– शास्त्रों के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है और माता का दर्जा दिया गया है इसलिए गौ पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।

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