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2500 से अधिक लोगों के लिए शिविर: सातवें दिन भी बचाव कार्य जारी

केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण अबतक 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों चूरलमाला और मुंडक्कई में सेना का राहत व बचाव कार्य सातवें दिन भी जारी है। अभी भी मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। विभिन्न राहत शिविरों में ढाई हजार से अधिक लोग रह रहे हैं।

एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि केरल के वायनाड में विभिन्न राहत शिविरों में 599 बच्चों और छह गर्भवती महिलाओं समेत 2,500 से अधिक लोग रह रहे हैं।

723 परिवारों का सहारा बना शिविर

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पहाड़ी जिले में मेपादी और अन्य ग्राम पंचायतों में कुल 16 बचाव शिविर हैं। यहां भूस्खलन प्रभावित लोग रह रहे हैं। 723 परिवारों के करीब 2,514 लोग शिविरों में रह रहे हैं। इनमें से 943 पुरुष, 972 महिलाएं और 599 बच्चे हैं।

सीएमओ के मुताबिक, राहत शिविरों में रह रही कुल महिलाओं में से छह गर्भवती हैं। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वायनाड के चूरलमाला और मुंडक्कई में 30 जुलाई को हुए बड़े भूस्खलन में मरने वालों की संख्या दो अगस्त तक 308 है। नवीनतम अपडेट के अनुसार, 220 शव बरामद किए गए। रविवार तक 180 लोग लापता थे। 

इको सेंसिटिव जोन के लिए बनानी चाहिए कोई योजना

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने वायनाड भूस्खलन पर घटना पर कहा, 'इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि स्थानीय समाचार पत्रों में आ रही खबरों के अनुसार राज्य सरकार के संरक्षण में जो अवैध बस्तियां बनी हैं, उनके बारे में राज्य सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए और इको सेंसिटिव जोन के लिए कोई योजना बनानी चाहिए। इको सेंसिटिव जोन में इस तरह की अवैध गतिविधियां और खनन नहीं होना चाहिए, इससे वहां बहुत नुकसान हुआ है। हमने पूर्व वन महानिदेशक संजय कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। स्थानीय सरकार के संरक्षण में अवैध मानव निवास और अवैध खनन गतिविधि हुई है।'

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