नक्सल अभियान की बैठक में शामिल हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव
केंद्र सरकार ने 2026 तक यानी दो साल के भीतर भारत से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव अब हर महीने और पुलिस महानिदेशक हर 15 दिन के अंतराल पर प्रदेश में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान और नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे। मप्र की तरह नक्सल प्रभावित सभी पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और बिहार में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
दिल्ली में सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में वामपंथी उग्रवाद पर मप्र समेत सभी प्रभावित राज्यों में चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों की समीक्षा की गई। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्ढा, मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, छग के सीएम विष्णुदेव साय समेत प्रभावित राज्यों के सीएएम, डिप्टी सीएम समेत केंद्रीय गृह सचिव, केंद्रीय सशस्त्र बलों के पुलिस बलों समेत प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी भी शामिल हुए। शाह ने नक्सलवाद को आदिवासी क्षेत्रों के विकास में सबसे बड़ी बाधा और मानवता का दुश्मन बताया है।
शाह ने कहा कि नक्सलवाद के कारण 8 करोड़ से अधिक लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हुए, यह मानवाधिकारों का सबसे बड़ा हनन है। शाह ने छत्तीसगढ़ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वर्ष 2024 में अब तक छह में 237 नक्सली मारे गए और 723 ने आत्मसमर्पण किया है। आदिवासी अंचलों के विकास के लिए वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और सरकारी योजनाओं सौ फीसदी क्रियान्वयन करना होगा। केंद्र आदिवासी इलाकों में 3सी यानी रोड कनेक्टिविटी, मोबाइल कनेक्टिविटी और फाइनेंशियल कनेक्टिविटी को मजबूत कर रही है।
पांच साल में मप्र में मारे गए 20 हार्डकोर नक्सली
मप्र में पिछले 5 साल में 20 हार्डकोर नक्सली पुलिस ने मारे हैं, इन पर 3.31 करोड़ का इनाम था। 85 लाख के इनामी 6 नक्सली गिरफ्तार किए गए हैं। पिछले 8 माह में मप्र में 3 नक्सली मुठभेड़ हुए हैं, जिनमें 4 नक्सली मारे गए हैं, 10 महिला नक्सली गिरफ्तार हुई हैं।
मध्य प्रदेश में 1990 में पनपा था नक्सलवाद
मप्र में 1990 में सबसे पहले बालाघाट में नक्सली गतिविधियां शुरू हुई थीं। वर्तमान में बालाघाट के अलावा मप्र के मंडला, डिंडौरी समेत तीन जिले नक्सल प्रभावित हैं। मप्र में पहली बड़ी नक्सली घटना 1991 में लांजी क्षेत्र में पुलिस की गाड़ी को माइंस ब्लास्ट कर उड़ा दिया गया था, जिसमें 9 जवानों की मौत हुई थी। इसके बाद बालाघाट के नारंगी गांव में 16 पुलिस जवानों को ब्लास्ट