मध्य प्रदेश

मेरठ से पहले विद्रोह हरियाणा में हुआ- प्रो. पुनिया

आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में हरियाणा के योगदान पर वेबीनार का आयोजन

मध्यप्रदेश। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में हरियाणा का योगदान अप्रतिम रहा है. 1857 के पहले विद्रोह के संदर्भ में मेरठ का उल्लेख मिलता है जबकि मेरठ के पहले अंबाला में प्रथम विद्रोह हुआ था. इस विद्रोह में 50 अंग्रेजों को बंदी बना लिया गया था. यह बात प्रो. महासिंह पुनिया, निदेशक युवा एवं सांस्कृतिक प्रभाग कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय ने कही. प्रो. पुनिया आजादी के अमृत महोत्सव के तीसरे व्याख्यान में ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के योगदान विषय पर बोल रहे थे.’ यह आयोजन डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू हेरिटेज सोसायटी पटना तथा युवा एवं सांस्कृतिक प्रभाग कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था. प्रो. पुनिया ने कहा कि हरियाणा का गठन 1966 में हुआ है लेकिन भारतीय स्वाधीनता संग्राम के समय रियासतों में बसे हरियाणा का योगदान अमिट और अमूल्य है. उन्होंने 12 बड़ी लड़ाईयों का तथ्याों के साथ विवरण देकर बताया कि किस तरह अंग्रेजों को हरियाणा के लोगों ने परेशान कर दिया था. प्रो. पुनिया ने कहा कि इतिहास को पुन: लिखने की आवश्यकता है जिसका कार्य आरंभ कर दिया गया है. मधुबन में हरियाणा का पहला संग्रहालय बनाया गया है जहां 1857 के समय के दस्तावेज को रखा गया है. चार सौ करोड़ की लागत से शहीद स्मारक का निर्माण किया जा रहा है जहां स्वाधीनता संग्राम के विविध पहलुओं को संजोया जाएगा. उन्होंने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में भी स्थापित संग्रहालय की जानकारी दी.
प्रो. पुनिया ने बताया कि अंग्रेजों की एक बड़ी परेशानी का कारण था कि हरियाणा हावी हो गया तो दिल्ली की सत्ता पर खतरा हो सकता है. इसी डर में अंंग्रेजों ने बेरहमी से स्वाधीनता सेनानियों को दबाने की कोशिश की. आम आदमी में डर पैदा हो इसलिए पेड़ों पर, हवेलियों के दरवाजे पर सरेआम फांसी दी जाती थी. उन्होंने रोहणात का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस तरह हम जलियांवाला बाग का स्मरण करते हैं, उसी तरह रोहणात के एक कुएं में स्वाधीनता सेनानियों को मारकर भर दिया गया था. एक अन्य घटना का उल्लेख करते हुए प्रो. पुनिया ने बताया कि सडक़ पर सेनानियोंं को रोडरोलर से कुचल दिया गया. पूरी सडक़ खून से रंग गई थी. आज उस सडक़ को लाल सडक़ के नाम से जानते हैं.
संगोष्ठी के आरंभ में हेरिटेज सोयायटी के महाननिदेश अनंताशुतोष द्विवेदी ने संगोष्ठी के मुख्य अतिथि का परिचय देेते हुए उनका स्वागत किया. संगोष्ठी की अध्यक्ष डॉ. नीरू मिश्रा ने अमृत महोत्सव एवं विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी. प्रो. मिश्र ने कहा कि राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन के मार्गदर्शन एवं कुलपति प्रो. आशा शुक्ला की अकादमिक एवं प्रशानिक प्रतिबद्धता से ही यह सब संभव हो पा रहा है. उन्होंने इस आयोजन के लिए हेरिटेज सोसायटी पटना एवं महानिदेशक श्री द्विवेदी के प्रति आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन श्री भरत भाटी ने किया. अकादमिक संयोजन यौगिक साइंस विभाग के शिक्षक डॉ. अजय दुबे ने किया. कार्यक्रम का संयोजन डीन प्रो. डीके वर्मा के मार्गदर्शन में हुआ और कुलसचिव अजय वर्मा एवं विश्वविद्यालय परिवार का योगदान रहा. संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के नेक कंसलटेंट एवं मीडिया प्रमुख डॉ. सुरेन्द्र पाठक तथा मीडिया प्रभारी मनोज कुमार संगोष्ठी में उपस्थित रहे.

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