राजनीति में महिलाओं की कम भागीदारी का कारण है पितृसतात्मक समाज
— डाॅ. बी.आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में कार्यक्रम
मध्यप्रदेश। डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू द्वारा जेण्डर संवेदनशीलता और संबंधित विषय पर आयोजित अकादमिक गतिविधियों के क्रम में एसएनडीटी मुम्बई की प्राध्यापक डाॅ. वत्सला शुक्ला ने ‘‘फेमिनाईजिंग पाॅलिटिक्स – नेरेटिव आॅफ विमेन कांउसलर्स आॅफ मुम्बई‘‘ विषय पर बात करते हुए कहा कि राजनीति में महिलाओं की कम भागीदारी के प्रमुख कारणों में पितृसतात्मक समाज तथा इसकी संरचनात्मक कमियां है। इसकी वजह से महिलाओं को कम अवसर मिलते है तथा वे राजनीतिक प्रतिस्र्पधा में पुरूषों से काफी पीछे रह जाती हैं। चुनावी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की मांग के पीछे यही सोच नहीं है कि उनकी मौजूदगी बढ़े बल्कि यह भी कि राजनीतिक विमर्श में उनकी भागीदारी हो जिसमें अवसरहीनता लैंगिक भेदभाव और पुरूषवादी सत्ता विमर्श हावी है। आपने मुम्बई नगर निगम में कार्यरत महिला प्रतिनिधियों पर आधारित शोध अध्ययन का विश्लेषण करते हुए बताया कि राजनीतिक परिदृश्य में महिला प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन प्रशिक्षण, शिक्षा की कमी के कारण विभिन्न स्तरों पर पुरूष वर्चस्व है। ऐसे महिला प्रतिनिधियों की जरूरत है जो अपनी मांगों को सही ढंग से उठा सकें और एक नई राजनीतिक संस्कृति के विकास में अपनी भूमिका निभा सकें। यह जरूरी है कि लोकतंत्र और नारीवादी मूल्यों से विश्वास पैदा किया जाए। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण के साथ समाज में प्रत्येक स्तर पर महिला सशक्तीकरण तथा उनकी सामुदायिक भागीदारी के लिए प्रयास किए जाएं ताकि उनमें आत्मविश्वास, नेतृत्वक्षमता आदिगुणों का विकास हो।
डाॅ. मनीषा सक्सेना ने स्वागत उद्बोधन देते हुए विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और साथ ही राजनीति में महिलाओं की भूमिका पर बात करते हुए इस व्याख्यान को समीचीन बताया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. मनोज गुप्ता एवं संचालन भरत भाटी द्वारा किया गया।