मध्य प्रदेश

तबादले के लिए चक्करघिन्नी बने अधिकारी-कर्मचारी

भोपाल ।  मप्र में नई सरकार बने तकरीबन 8 माह हो गए हैं, लेकिन अभी तक सरकार नई ट्रोसफर पॉलिसी को मंजूर नहीं कर पाई है। इस कारण तबादलों पर से प्रतिबंध भी नहीं हट पाया है। जबकि हर साल मई-जून में तबादलों पर से प्रतिबंध हट जाता है और अधिकारी-कर्मचारी अपनी पसंद की जगह पर तबादले के लिए आवेदन करते हैं। लेकिन पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव के कारण नई ट्रांसफर पॉलिसी अधर में लटकी तो अभी तक अधर में ही है। इस कारण तबादले के लिए अधिकारी-कर्मचारी परेशान हो रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारी दो साल से तबादलों से बैन हटने का इंतजार कर रहे हैं। नया शिक्षण सत्र शुरू हुए दो महीने होने को हैं, लेकिन तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटने से हजारों कर्मचारी परेशान हैं। वे स्थानांतरण के लिए मंत्रियों, विधायकों से लेकर मंत्रालय में अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। पिछले एक महीने से जल्द ही तबादलों से बैन हटने की खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन सरकार नई ट्रांसफर पॉलिसी को मंजूरी नहीं दे पाई है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि स्कूल व कॉलेजों में एडमिशन शुरू होने से पहले तबादलो से प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए। इसके लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए। तबादले उन्ही कर्मचारियों के किए जाएं, जिनकी शिकायतें हैं और जो तबादले की डिमांड कर रहे है। बिना वजह तबादलों से तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ज्यादा परेशान होते हैं।

नई ट्रांसफर पॉलिसी तैयार
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने नई ट्रांसफर पॉलिसी तैयार कर ली है। जीएडी और सीएम सचिवालय के अधिकारी ट्रांसफर पॉलिसी पर चर्चा कर चुके हैं। संभवत: मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं सौंपे जाने के कारण नई ट्रांसफर पॉलिसी अटकी है, क्योंकि जिले के अंदर कर्मचारियों के तबादले कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होते हैं। वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव की वजह से कर्मचारियों के तबादलों से बैन नहीं हटाया गया था। सिर्फ उन अधिकारियों को स्थानांतरित किया गया, जो 3 वर्ष से एक ही स्थान पर पदस्थ थे। सूत्रों का कहना है कि नई ट्रांसफर पॉलिसी में किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जाने का प्रावधान किया गया है। प्रथम श्रेणी के सभी अधिकारियों के मुख्यमंत्री, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के अधिकारियों के विभागीय मंत्री और जिले के भीतर कर्मचारियों के तबादले कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होंगे।

इस तरह हो सकेंगे तबादले
सूत्रों का कहना है कि पहले सरकार नई ट्रांसफर पाॉलिसी लाने के स्थान पर मुख्यमंत्री समन्वय के माध्यम से तबादले किए जाने पर विचार कर रही थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों की अपेक्षा है कि वे अपने हिसाब से अपने क्षेत्र में अधिकारियों की पदस्थापनाएं कराएं, ताकि समन्वय के साथ काम हो सके। मंत्री भी मैदानी स्तर पर अपने हिसाब से जमावट करना चाहते हैं। कुछ मंत्री मुख्यमंत्री से तबादलों से बैन हटाने का आग्रह कर चुके हैं। वहीं, वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची की तैयारी के चलते निर्वाचन कार्य से सीधे जुड़े कलेक्टर, अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, शिक्षक और पटवारियों के स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अब तबादले होना शुरू हो पाएंगे। इस दौरान जिले से जिले के अंदर तबादले के अधिकारी प्रभारी मंत्रियों को दिये जाएंगे। प्रथम श्रेणी के सभी अधिकारियों के तबादे मुख्यमंत्री के अनुमोदन से होंगे। द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारियों के विभागीय मंत्री और जिले के भीतर कर्मचारियों के तबादले कलेक्टर के माध्यम से होंगे। हालांकि इसके लिए प्रभारी मंत्री की परमिशन लेना अनिवार्य होगा। उनकी परमिशन के बाद ट्रांसफर होंगे। तबादला नीति का पालन सुनिश्चित करने का दायित्व विभागीय अधिकारियों को दिया गया है।

ब्यूरोक्रेट्स की पदस्थापना एक-एक कर
प्रदेश में कलेक्टर्स के थोकबंद तबादलों को लेकर चर्चा के बीच सरकार एक-एक कर जिलो में कलेक्टर्स के पद पर पदस्थापना कर रही है। यह सिलसिला जून माह से जारी है। खास बात यह है कि 2015 बैच के सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों की वरिष्ठता सूची के क्रम में कलेक्टर के पद पर पदस्थापना की जा रही है। पिछले डेढ़ महीने में 2015 बैच के वरिष्ठता सूची में सबसे ऊपर मौजूद तीन अधिकारियों की कलेक्टर के पद पर पदस्थापना की जा चुकी है। इस बैच की टॉपर संस्कृति जैन कलेक्टर सिवनी, वरिष्ठता क्रम में दूसरे नंबर रहीं अदिति गर्ग कलेक्टर मंदसौर और वरिष्ठता क्रम में तीसरे नंबर पर मौजूद पार्थ जैसवाल को कलेक्टर छतरपुर पदस्थ किया गया है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि थोकबंद तबादले की बजाय एक-एक, दो-दो कलेक्टर्स की नई पदस्थापना की जाएगी। आने वाले दिनों में 10 से ज्यादा कलेक्टर और बदले जाएंगे। उनके स्थान पर 2015 बैच के आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाया जाएगा। गौरतलब है कि मप्र में कैडर मिस मैनेजमेंट की वजह से 2015 बैच के आईएएस कलेक्टर बनने में पिछड़ गए हैं। मप्र कैडर के 2015 बैच में कुल 16 अधिकारी हैं। इनमें से तीन कलेक्टर बनाए जा चुके हैं। वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर मौजूद रौशन कुमार सिंह संचालक जनसंपर्क हैं, इसलिए फिलहाल उन्हें फील्ड में भेजे जाने के आसार कम हैं। मप्र कैडर के 2015 बैच के आईएएस मृणाल मीना, हर्ष सिंह, हर्षल पंचोली, हिमांशु चंद्रा, ऋतु राज, अर्पित वर्मा, बालगुरु के, गुंचा सनोबर, राखी सहाय, संजय कुमार जैन, शीला दाहिमा और बिदिशा मुखर्जी की आने वाले दिनों में कलेक्टर के पद पर पदस्थापना किए जाने के आसार हैं। मप्र कैडर के 2014 बैच के चार प्रमोटी अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें अब तक कलेक्टर के पद पर पदस्थ नहीं किया गया है। इन अफसरों में नियाज खान, नीतू माथुर, अंजू भदौरिया और जमुना भिड़े शामिल हैं।

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