मध्य प्रदेश

बड़ी खबर : चुनाव से पहले यहां घुसे खूंखार नक्सली, बीजेपी शासित राज्यों पर मंडराया बड़ा खतरा

भोपाल। नक्सलियों के विस्तार दलम की प्रदेश में दस्तक से सुरक्षा बल चिंतित हैं। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश को जोडऩे वाले कवर्धा के रास्ते पहाड़ और जंगलों का फायदा उठाकर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में ये अपना नेटवर्क बनाना चाहते हैं। प्रदेश में नक्सली मूवमेंट के इनपुट पर एनआईए और हॉक-फोर्स सक्रिय हो गई हैं।

विस्तार दलम में करीब 200 सदस्य हैं, जो छत्तीसगढ़ के बीजापुर सुकमा में सक्रिय हैं। दलम के सभी सदस्य बालाघाट के जरिए प्रदेश में नेटवर्क फैलाने की फिराक में हैं। खुफिया एजेंसी और इंटेलीजेंस ने एमपी पुलिस को साझा जानकारी में बताया कि कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में ऑपरेशन प्रहार के तहत मुठभेड़ में दो नक्सलियों को मार गिराया था। मारे गए नक्सलियों के पास से कुछ ऐसे सबूत मिले थे, जो एमपी के सीमावर्ती क्षेत्रों में उनके नेटवर्क को मजबूत करने की तरफ इशारा करते हैं।

तीन दिन पहले देखे गए मंडला के जंगलों में
हॉक-फोर्स की गश्ती के दौरान पता चला कि तीन दिन पहले नक्सलियों के विस्तार दलम के दो ग्रुप, जिनमें १५ से २० सदस्य हैं, उन्हें मंडला जिले के वन क्षेत्र स्थित सेन अभ्यारण्य में देखा गया है। नक्सलियों ने वन चौकियों पर दबिश देकर वनकर्मियों को धमकाया था। नक्सलियों के इस गिरोह ने छत्तीसगढ़ से सटे मप्र के कवर्धा के रास्ते मोतीनाला थाना क्षेत्र से प्रवेश किया है।

आठ जिलों को माना नक्सल प्रभावित
मप्र में घटनाओं, गतिविधियों की दृष्टि से 8 जिलों को नक्सल प्रभावित माना गया है। इनमें बालाघाट, सीधी, सिंगरौली, मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया शामिल हैं। बालाघाट के बाद मंडला और सिंगरौली को सर्वाधिक नक्सल प्रभावित माना गया है। हालांकि, केन्द्र की लिस्ट में केवल बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित जिले का दर्जा दिया गया है।

इस बारे में मध्यप्रदेश एडीजी (नक्सल) संजीव सिंह का कहना है कि प्रदेश के सीमावर्ती नक्सल प्रभावित जिलों की पुलिस अलर्ट है। छत्तीसगढ़ की कवर्धा बॉर्डर के पास के जंगलों में नक्सली मूवमेंट देखा गया था। सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सलियों के मूवमेंट होने के इनपुट मिलने के बाद से पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है।

Related Articles

Back to top button