मध्य प्रदेश

मप्र में स्वरोजगार को पटरी पर लाने फिर करनी होगी मशक्कत

— काेरोना से संकट में रोजी रोटी और रियायत की तलाश
— गैर पंजीकृत मजदूर और छोटे कारोबारी मुश्किल में

जोरावर सिंह

मध्यप्रदेश। यूं तो करोना ने पूरे देश को प्रभावित किया है, मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा है। प्रदेश में हजारों परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने स्वजनों को खोया है, सरकारी और निजी तंत्र की असलियत को जाना परखा है, अब जैसे जैसे कोरोना की रफ्तार थम रही है, वैसे वैसे भयावह हालातों की तश्वीरें सामने आने लगी है। इस कारण से सत्ता पक्ष और विपक्ष भी आमने सामने नजर आ रहे है, प्रदेश के अनलाक होने के बाद सियासत और गरमाएगी। इसके आसार अभी से दिखने लगे है।

प्रदेश में कोरोना के कारण से प्रदेश में अप्रेल और मई महीने सबसे अिधक कोरोना से लोगों की मौतें हुई है, और कहीं आक्सीजन की कमी तो कहीं अस्पताल प्रबंधन की कमी के कारण से लोगों ने अपनी जान गंवाई है। अब हालात धीरे धीरे सामान्य हो रहे है। इस दौरान जहां मध्यप्रदेश में विपक्ष यानी की कांग्रेस प्रदेश भर में सत्ता पक्ष पर हमला वर है, सरकार की नाकामियों को उजागर करने में जुटी हुई है, तो वहीं सत्ता पक्ष भी पलटवार कर प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के खिलाफ हमलावर नजर आ रही है। सियासत दिनों दिन तेज हो रही है। दूसरी तरफ प्रदेश में सैकडों परिवार ऐसे हैं, जिनकी रोजी रोटी पर संकट है और रियायत की तलाश में वह भटक रहे है।

—आर्थिक रूप से हुआ नुकसान

प्रदेश में कोरोना अप्रेल महीने से लेकर अभी तक लॉकडाउन है, इससे कारोबार बंद है, बडे कारोबारी भले ही इस नुकसान को झेल जाएं, लेकिन इस दौरान सबसे अिधक नुकसान फुटपाथ पर छोटा छोटा रोजगार करने वाले, छोटे कारोबारी सबसे अधिक मुश्किल में आ गए है, दो महीने तक का दुकानों का किराये वहन करना मुश्किल हो रहा है, इसके साथ ही ग्रामीण छोटे कस्बाई क्षेत्रों में फेरी लगाकर बेचने वाले लोग, तांगा आटो रिक्शा चलाने वाले, सहित अन्य छोटे कारोबारी जिनका कारोबार बंद है, उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पडा है।

— लाभ से दूर खडे यह मजदूर

कोरोना काल में मजदूरों की आर्थिक मदद के उददेश्य से प्रदेश सरकार ने एक अच्छी पहल की है, इसमें ऐसे मजदूर जो कि पंजीकृत है, उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा एक एक हजार रूपए की मदद उनके खातों में पहुंचाई है। उल्लेखनीय है कि इससे प्रदेश के 11 लाख 28 हजार 130 पंजीकृत निर्माण श्रमिक हैं, मुख्यमंत्री के इस निर्णय से वह लाभािन्वत हो सकेंगे। इन मजदूरों के खातों 112 करोड की राशि डाली गई है। लेकिन प्रदेश में लाखों मजदूर ऐसे हैं, जो कि पंजीकृत नहीं है, वह इस लाभ से वंचित रह जाएंगे, जबकि इन दिनों निर्माण कार्य बंद होने के कारण से यह मजदूर आिर्थक संकट से जूझ रहे हैं।

—पूंजी थी वह तो खत्म हो गई

प्रदेश में गैर पंजीकृत मजदूर और फुटपाथ पर कारोबार करने वाले छोटे कारोबारी जिन पर कारोबार के लिए जो कर्ज लिया था, उसकी किश्तें चुकानी है, वहीं दुकान का किराया, घर और दुकान का बिजली का बिल अदा करना है, छोटे कारोबारी और गैर पंजीकृत मजदूरों को कोई रियायत नहीं मिली है, इससे उनकी मुश्िकल और बढ रही है, मजदूरों एवं वह छोटे कारोबारी जो फेरी लगाकर रोज मर्रा के सामान बेचते हैं उनकी माने तो प्रदेश में लॉकडाउन खुलने के बाद अब फिर से स्वरोजगार शुरू करने के लिए उनके पास पूंजी ही नहीं बची है, ऐसे में उन्हें अब अपना स्वरोजगार शुरू करने के लिए मुश्िकलों का सामना करना पडेगा।

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