मध्य प्रदेश

ग्वालियर जिले में एसडीआरएफ़ की टीम ने पुलिस व प्रशासन के सहयोग से बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला

ग्वालियर । वैसे तो संकट मोचन हनुमान जी हैं लेकिन आधुनिक युग में एसडीआरएफ़ के जवान उम्मीद बनकर आते हैं। बाढ़ से प्रभावित बिजौली थाने के पाँच गाँवों में रातों रात पानी भर गया और जीवन संकट में आ गया। प्रशासन को सूचना मिली तो कलेक्टर ग्वालियर श्रीमती रूचिका चौहान और पुलिस अधीक्षक ग्वालियर  राकेश कुमार सगर(भापुसे) के निर्देश पर मौक़े पर अति. पुलिस अधीक्षक  (पूर्व/यातायात/अपराध)  षियाज़ के.एम.(भापुसे) और एसडीएम मुरार अशोक चौहान मौके पर पहुँचे और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में आमजन को बाढ़ क्षेत्र से सुरक्षित निकालने हेतु एसडीआरएफ़ व आर्मी की टीम भिजवाई। एसडीओपी बेहट l संतोष पटेल के मागर्दशन में पुलिस व प्रशासन के सहयोग से एसडीआरएफ़ की टीम के द्वारा बिलहेटी गाँव के बीरबल का पुरा से 12 लोगों को सुरक्षित निकाला गया और आर्मी की टीम द्वारा खोदूपुरा गाँव से निकाला गया।

तहसीलदार दीपेश धाकड़ को सूचना मिली कि पारसेन गाँव के एक किसान परिवार का घर गिर गया है और उनके पास मोबाइल भी नहीं है। सुबह से कोई संपर्क नहीं हो रहा है। एसडीआरएफ़ की टीम के प्लाटून कमाण्डर अजय सिंह की टीम के ड्राइवर ख़ान, भानु तोमर, विजय दंडोतिया ने जब नाव को बाजरे के खेत से खींचते हुए किसान के घर के पीछे लगाया तो बेटी प्रियंका गुर्जर की नज़र पड़ी तो मुस्कुराने लगी। उसके बाद गिरे हुए मकान से एक अंधे दादा रामवीर गुर्जर उम्र-85 वर्ष, लकवाग्रस्त दादी 80 वर्ष मिली। रामबरण की पत्नी रिंकी ने आने से मना कर दिया कि मेरी गाय को छोड़कर नहीं जाऊँगी लेकिन पुलिस व होम गार्ड के जवानों द्वारा समझाइश देने के बाद रामबरण व उसकी पत्नी आने को तैयार हुए। जब राहत दल पहुँचा तो खाना के लिए कंडे सुलगा रहे थे। उसके बाद एसडीआरएफ़ के नाव चालक ख़ान साब ने नदी की तेज धार से पार करते हुए निकाला। सैनिक भानू व विजय ने जान की परवाह किए बिना नाव को बाजरा व धान के खेत से सुरक्षित निकाला और राहत की सांस दी। राहत कार्य में पुलिस प्रशासन के साथ-साथ ग्रामीणों का भी सराहनीय योगदान रहा।

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